महाराष्ट्र विधानमंडल के सभापति रामराजे निंबालकर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के 12 विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया गया है। निंबालकर ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से मिलकर विधानमंडल के अधिकारों को संरक्षण देने की मांग की है। साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय की ओर से इस संबंध में दिए गए निर्णय की समीक्षा करने की भी मांग की है। इसका कारण यह निर्णय देश की सभी विधानसभा तथा लोकसभा और राज्यसभा पर असरकारक है।
महाराष्ट्र विधानपरिषद के सभापति रामराजे निंबालकर, उपसभापति नीलम गोर्हे तथा विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल 11 फरवरी की शाम को राजभवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले थे। इसके बाद रामराजे निंबालकर ने पत्रकारों से बात की थी।
सरकार का पक्ष
निंबालकर ने बताया कि विधानमंडल के कामकाज में किसी भी न्यायिक प्रणाली को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की 3 जजों की खंडपीठ ने 28 जनवरी को विधानसभा की ओर से एक साल के लिए निलंबित 12 विधायकों का निलंबन रद्द करने का आदेश जारी किया था। यह सभी विधायकों गलत व्यवहार की वजह से निलंबित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप करने वाला है, इसका दूरगामी असर देश की हर विधानसभा और लोकसभा तथा राज्य सभा पर पड़ने वाला है। इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति से सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय की समीक्षा करवाए जाने की मांग की है।
निलंबित विधायकों में ये शामिल
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में गलत व्यवहार करने की वजह से 5 जुलाई 2021 को विधानसभा में गलत व्यवहार की वजह से भाजपा विधायक आशीष शेलार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, जयकुमार रावल, संजय कुटे, अभिमन्यु पवार, हरीश पिंपले, राम सातपुते , पराग अलवणी, नारायण कुचे, कीर्तिकुमार बागडिया व योगेश पवार को एक साल के निलंबित किया गया था। इस निलंबन को रद्द करने के लिए इन सभी विधायकों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी और सर्वोच्च न्यायालय ने 28 जनवरी को इन सभी विधायकों का निलंबन रद्द करने का आदेश दिया था।