महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से ही विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर चर्चा गरम थी। चर्चा थी कि मात्र 8 दिनों के सत्र में यह चुनाव कब होगा, ध्वनिमत से होगा या गुप्त मतदान से होगा, क्या राज्यपाल से इसकी अनुमति मिलेगी, आदि ऐसे तमाम सवाल थे, जिसका जवाब मीडिया के साथ ही लोग भी जानना चाहते थे। आखिरकार सरकार ने इसके लिए 28 दिसंबर की तारीख निश्चित की थी।
सरकार की ओर से जो खबरें आ रही थाीं, उसके अनुसार चुनाव ध्वनिमत से कराने का फैसला लिया गया था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस निर्णय का जोरदार विरोध करते हुए चुनाव गुप्त मतदान से कराने की मांग की थी।
राज्यपाल से मिले पक्ष और विपक्ष के नेता
विपक्ष ने अपनी इस मांग को राज्यपाल के समझ रखते हुए विधानसभा अध्यक्ष का चुुनाव गुप्त मतदान से कराने की मांग की थी। उसके बाद प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल ने भी राज्यपाल से मुलाकात कर विधान सभा अध्यक्ष के चुनाव की अनुमति मांगी थी, लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
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इन दो घटनाक्रमों के बाद टल गया चुनाव
28 दिसंबर को राज्यपाल ने प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार को पत्र लिखकर अपना पक्ष स्पष्ट किया। हालांकि उन्होंने पत्र में क्या लिखा, इस बारे में कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है। इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की है। इन दोनों घटनाक्रम के बाद सरकार ने इस सत्र में विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव न कराकर उसे आगे के लिए टाल दिया है। सरकार ने अब इस महत्वपूर्ण पद पर चुनाव अगले साल मार्च में बजट सत्र के दौरान कराने का निर्णय लिया है।