महाराष्ट्र में जारी राजनैतिक जंग के दौरान विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरी जिरवल काफी चर्चा में थे। उन्होंने अपने खिलाफ लाये जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव को स्वयं खारिज कर दिया था। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने नाराजगी जताई थी और उसने प्रश्न पूछा था कि अपने खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर आप खुद ही जज कैसे बन गए? न्यायालय ने इस मामले में उनसे दो हफ्ते में जवाब मांगा था। न्यायालय ने जिरवल से ये भी पूछा था कि उन्होंने कितने विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस जारी किया था।
उपाध्यक्ष जिरवल ने सर्वोच्च न्यायालय को दिए जवाब में अपना पक्ष स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव का ईमेल जिस आईडी से भेजा गया था, वह असत्यापित था। इस कारण उन्होंने उसे खारिज कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि उनकी ओर से 39 विधायकों को पार्टी छोड़ने पर उनकी सदस्यता रद्द करने का नोटिस जारी किया गया था।
एक वर्ष से खाली है अध्यक्ष पद
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में अध्यक्ष का पद एक वर्ष से रिक्त है। कांग्रेस नेता नाना पटोले के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से यह पद खाली है। इस कारण उपाध्यक्ष नरहरि जिरवल कई महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने एकनाथ शिंदे को चीफ व्हिप पद से हटाकर अजय चौधरी को शिवसेना का चीफ व्हिप बनाने की मंजूरी दी थी। इसके साथ ही शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता को अयोग्य ठहराने का भी नोटिस जारी किया था। फिलहाल यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में है और इस पर 11 जुलाई को सुनवाई होनी है।