कोरोना की दूसरी लहर के कारण महाराष्ट्र में प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि कोरोना संक्रमण अब काफी कम है, लेकिन सतर्कता के मद्देनजर कई तरह की पाबंदियां अभी भी लागू हैं। यही कारण है कि मुंबई लोकल में आम मुंबईकरों को यात्रा करने की अनुमति नहीं है। लेकिन अब राज्य के विधान सभा अध्यक्ष के चुनाव में भी कोरोना वायरस बाधा बन गया है।
बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव और राज्य के अन्य मुद्दों पर पत्र लिखकर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित किया था। इससे पहले दो दिवसीय मॉनसून सत्र को लेकर विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मुलाकात की थी। उसके बाद कोश्यारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि फडणवीस की मांगें सही हैं। मुख्यमंत्री ने अब उस पत्र का जवाब दिया है।
इसलिए दो दिवसीय सम्मेलन
दो दिवसीय मानसून सत्र पर एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देश और डॉक्टरों की सलाह पर दो दिवसीय मानसून सत्र रखा गया है। कोरोना की दूसरी लहर अभी थमी नहीं है, और तीसरी लहर भी आने की आशंका है, इसलिए 5 और 6 जुलाई को सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
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संविधान का उल्लंघन नहीं
कोविड-19 के कारण इस सरकार ने कोई भी सत्र ज्यादा दिनों का नहीं बुलाया है। इसलिए विधान सभा अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका। संविधान में विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए कोई निश्चित अवधि नहीं है। इसलिए, यह चुनाव नहीं होने से संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हुआ है।
आरक्षण के लिए आपको भी फॉलो अप करना चाहिए
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने स्थानीय निकायों के चुनाव की घोषणा कर दी है। हमें अन्य पिछड़े वर्गों की परवाह है। यही वजह है कि हमने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को पूर्ववत करने के लिए कोई संवैधानिक तरीका खोजने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि हमें प्रधानमंत्री से मिलकर समाज को न्याय दिलाना चाहिए।
राज्यपाल के पत्र में क्या था?
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे अपने पत्र में तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर इशारा किया था। उन्होंने सत्र को ज्यादा दिनों तक चलाने की मांग की थी। इसके साथ ही विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव जल्द से जल्द कराने और स्थानीय निकाय चुनावों पर वर्तमान परिस्थिति में रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि इस परस्थिति में चुनाव नहीं कराना चाहिए क्योंकि ओबीसी आरक्षण लंबित है।