महाराष्ट्र महिला आयोग सात महीने से अबला पड़ा है। यहां पिछले सात महीनों में सैंकड़ो शिकायतें आई हैं लेकिन पीड़ा सुनने के लिए फरवरी के बाद से ही यहां कोई अध्यक्ष नहीं है। महिलाओं के दर्द को समझने और कानूनी दायरे में निपटान के लिए गठित महिला आयोग अब खुद अबला पड़ा है।
मीटू कैंपेन एक बार फिर खबरों में है। इसके अलावा लॉकडाउन के बाद महिलाओं से होनेवाले अपराधों के कई मामले सामने आए हैं। एक जानकारी के अनुसार राज्य महिला आयोग के पास फरवरी 2020 के बाद करीब 700 ऑनलाइन शिकायतें मिली हैं। लेकिन इन सभी को अब इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि अध्यक्ष की नियुक्ती सरकार के एजेंडे में अभी नहीं है।
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के करीब तीन महीने बाद तत्कालीन राज्य महिला आयोग अध्यक्षा विजया राहटकर ने राजीनामा दे दिया था। इसके बाद से ही यह पद रिक्त पड़ा हुआ है। त्रिशंकू सरकार में कोटा बंटेगा तो नियुक्ती होगी। इसके अनुसार अब यद्यपि महामंडलों पर नियुक्ती की खबरें आ रही हैं लेकिन अबला महिला आयोग सबला कब होगा इसके चिन्ह अभी तक नजर नहीं आ रहे हैं।
दर्द सुने कौन?
खबरों के अनुसार 20 मार्च से 30 अगस्त की अवधि में ऑनलाइन लगभग 700 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा तीन वर्षों में लगभग चार हजार मामले प्रलंबित पड़े हैं। अब जब नौ महीनों से आयोग ही अध्यक्षहीन पड़ा है तो सुनवाई में शिथिलता आना स्वाभाविक है। इन मामलों में सबसे अधिक मामले पारिवारिक हिंसा के हैं। इसके अलावा बलात्कार, पति के छल, दहेज उत्पीड़न, कार्यस्थल पर अत्याचार आदि के मामले भी हैं।
कार्यकारिणी का प्रारूप
महिला आयोग में एक अध्यक्ष होता है जो सत्ताधारी दल द्वारा नियुक्त किया जाता है। अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होता और उसके अधिकार अर्ध न्यायिक होते हैं। अध्यक्ष का कार्यकाल 3 वर्षों का या फिर शासन के आदेश के अनुसार होता है। अध्यक्ष के साथ कुल छह सदस्यों की कार्यकारिणी होती है जिसमें अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सचिव कार्यभार देखते हैं। वर्तमान में आस्था लूथरा सचिव के तौर पर कार्य देख रही हैं। राज्य में महिला व बाल कल्याण विभाग के अंतर्गत तीन आयोग कार्य करते हैं जिसमें महिला आयोग, बाल आयोग व महिला आर्थिक विकास महामंडल है। इन तीनों पदों पर महिलाओं की नियुक्तियां की जाती हैं। लेकिन मुख्यमंत्री की सहमति से ही इन पर नियुक्तियां होती हैं। महाविकास अघाड़ी सरकार की ओर से अभी तक इन पर नियुक्ती का कोई आदेश नहीं आया है। लिहाजा महिला आयोग बिन अध्यक्ष अबला बना हुआ है।