देश की संसद हर भारतीय के अधिकार की जगह है। क्योंकि वहीं से हमारे सवालों को न्याय मिल सकता है, ये विश्वास हर भारतीय के दिल में है। जन प्रतिनिधियों का चुनाव आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए ही किया जाता है, लेकिन अगर वही जन प्रतिनिधि संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे ले रहे हों तो आम नागरिक किससे गुहार लगाएं, यह सवाल जरूर उठता है। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) को लेकर भी कुछ इसी तरह के सवाल उठाए गये हैं।
26 अक्टूबर आचार समिति करेगी सुनवाई
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने (asking questions) के लिए पैसे लेने का आरोप लगा है। यह आरोप सांसद निशिकांत दुबे ने लगाया है। इस मामले को लेकर राजधानी में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस आरोप पर संज्ञान लेते हुए लोकसभा की एथिक्स कमेटी 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। चूंकि लोकसभा की आचार समिति इस मामले की सुनवाई करेगी, इसलिए इसका एक अलग राजनीतिक महत्व बढ़ गया है। इससे निश्चित तौर पर तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ेंगी। दोनों पार्टियां एक दूसरे की जमकर आलोचना कर रही हैं।
उपस्थित रहने के लिए दुबे को नोटिस
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। लोकसभा की एथिक्स कमेटी इस मामले पर 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। इसके लिए कमेटी ने निशिकांत दुबे को बुलाया है। लोकसभा उप सचिव बाला गुरु ने दुबे को नोटिस जारी करते हुए यह जानकारी दी। निशिकांत को 20 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा गया है कि वह सुनवाई में शामिल होंगे या नहीं। सुनवाई संसद के समिति कक्ष में होगी।
निशिकांत ने राष्ट्रपति से की थी शिकायत
झारखंड के गोड्डा से सांसद दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा था। इसका शीर्षक था- ‘संसद में प्रश्नों के लिए गंदी नकदी का फिर से उभरना’। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार 17 अक्टूबर को निशिकांत दुबे की शिकायत एथिक्स कमेटी को भेज दी थी। निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर महुआ मोइत्रा पर सदन में सवाल पूछने के लिए मुंबई स्थित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से उपहार और नकदी लेने का आरोप लगाया था।
कार्रवाई की मांग
निशिकांत ने मांग की कि इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाए और महुआ मोइत्रा को सदन से निलंबित किया जाए। पत्र में उन्होंने गंभीर विशेषाधिकार हनन, सदन की अवमानना और आईपीसी की धारा 120ए के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की बात लिखी थी।
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