Niti Aayog Meeting: नीति आयोग की बैठक से बाहर निकलीं ममता बनर्जी, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू

तमिलनाडु, केरल, पंजाब और दिल्ली समेत कई विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता (Chairman) में शनिवार (27 जुलाई) को दिल्ली (Delhi) में नीति आयोग (Niti Aayog) गवर्निंग काउंसिल (Governing Council) की बैठक हो रही है। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री (Chief Minister) भी शामिल हुए हैं। वहीं, इंडी गठबंधन (Indi Alliance) के बहिष्कार के बीच पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी इस बैठक में शामिल हुईं। हालांकि, ममता बनर्जी बीच में ही इस बैठक से बाहर आ गईं। बाहर आने के बाद ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें बोलने के लिए सिर्फ 5 मिनट का समय दिया गया।

नीति आयोग की इस बैठक में साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने पर फोकस किया जा रहा है। गवर्निंग काउंसिल नीति आयोग की शीर्ष संस्था है। इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। यह बैठक राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित की गई थी।

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भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों ने लिया भाग
नीति आयोग की बैठक में शामिल होने वाले मुख्यमंत्रियों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं।

इंडी अलायंस ने किया बहिष्कार
वहीं, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं।

बैठक का एजेंडा क्या है?
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस बैठक में विकसित भारत से जुड़े विजन पेपर पर चर्चा की जाएगी। बयान के अनुसार, इस बैठक का उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकारों के बीच भागीदारी संचालन और सहयोग को बढ़ावा देना, वितरण तंत्र को मजबूत करना और ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। बैठक में पिछले साल दिसंबर में आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी विचार किया जाएगा।

इस शिखर सम्मेलन के दौरान पांच प्रमुख विषयों पर सिफारिशें की गईं- पेयजल पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता; बिजली की गुणवत्ता, दक्षता और विश्वसनीयता; स्वास्थ्य पहुंच, वहनीयता और देखभाल की गुणवत्ता; स्कूली शिक्षा पहुंच और गुणवत्ता और भूमि और संपत्ति पहुंच, डिजिटलीकरण, पंजीकरण और म्यूटेशन।

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