पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 30 नवंबर से तीन दिनों तक मुंबई में हैं। इस दौरान वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना के कार्याध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगी। इसके अलावा वे 1 दिसंबर को यहां के उद्योगपतियों से भी मिलेंगी। वे उन्हें अगले वर्ष अप्रैल में पश्चिम बंगाल में होने वाले बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेंगी।
उनके इस तीन दिवसीय मुंबई दौरे को राजनीति की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे जहां यहां के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर विपक्ष को मजबूत बनाने की रणनीति तय कर सकती हैं, वहीं यहां के उद्योगपतियों को निवेश के लिए अपने प्रदेश में भी आमंत्रित कर सकती हैं।
कांग्रेस के किसी नेता से नहीं मिलेंगी ममता
बता दें कि हाल ही में उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। हालांकि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से नहीं मिली थी। इस बात को लेकर कहा जा रहा है कि दीदी खुद विपक्ष का नेतृत्व करना चाहती हैं। इसलिए वह कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रही हैं। मुंबई में भी वे कांग्रेस के किसी नेता से नहीं मिलेंगी, जबकि यहां की महाविकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ ही कांग्रेस भी शामिल है।
ये भी पढ़ेंः … इसलिए विपक्ष कर सकता है पूरे शीत सत्र का बहिष्कार! बुलाई बैठक
शीत सत्र में भी कांग्रेस से दूरी
संसद में भी टीएमसी कांग्रेस से दूरी बानकर चल रही है। 29 नवंबर को शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्ष की बैठक में भी टीएमसी के शामिल नहीं होने के बाद यह बात स्पष्ट हो गया कि ममता बनर्जी के दिमाग में कोई बड़ा खेला करने की बात चल रही है। वे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी का दायरा राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने की अपनी रणनीति पर काम कर कर रही हैं।