मणिपुर के 10 कुकी समुदाय के विधायकों और सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन (सीएसओ) तथा सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समूह ने आइजोल में मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा से मुलाकात की। जोरमथंगा मणिपुर में हाल ही में हुई सांप्रदायिक झड़पों में हुई हिंसा के कारण पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों, विशेष रूप से कुकी जो समुदाय के लोगों की पीड़ा से भी बहुत दुखी बताए जा रहे हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने कहा कि मिजोरम के लोग अपने समुदाय के भाइयों और बहनों की मदद करने के लिए तैयार हैं और विभिन्न संगठनों और लोगों के परामर्श से भविष्य की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाना चाहिए प्रतिनिधिमंडल में मंत्री, विधायक, मिजो लोगों के प्रतिनिधि, कुकी छात्र संघ, हमार इनपुई के अलावा आदिवासी एकता, जेमी काउंसिल छात्र संगठन और अन्य संगठन शामिल हुए। यह मुलाकात बुधवार को हुई थी, हालांकि इसकी जानकारी आज सार्वजनिक हुई है।
अलग प्रशासन की मांग
गौरतलब है कि मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय हिंसा के बाद से ही अलग प्रशासन की मांग की जा रही है, जिसमें मणिपुर के पहाड़ी जिलों के कुकी विधायकों के साथ-साथ एसओओ समूह और कुकी सीएसओ भी शामिल हैं। मणिपुर में सामूहिक संघर्ष मई में उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद विरोध स्वरूप शुरू हुआ था। जिसमें राज्य सरकार को गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने पर विचार करने का फैसला दिया गया था। हालांकि, मणिपुर की हिंसा के पीछे राज्य में लंबे समय से चल रहे ड्रग्स के कारोबार पर सरकार द्वारा लगाए गए लगाम को भी मुख्य वजहों में से एक बताया जा रहा है।
ड्रग्स कारोबार पर उग्रवादियों का कब्जा
ज्ञात हो कि मणिपुर के ड्रग्स कारोबार पर राज्य के उग्रवादियों की पूरी पकड़ है। ड्रग्स के पैसे से ही राज्य में उग्रवाद का कारोबार फल फूल रहा था। जंगल में खेती को बंद करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम से उग्रवादियों के ड्रग्स के कारोबार पर सीधे चोट पहुंची है। माना जा रहा है कि उग्रवादी समूह राज्य में उपजे हालात का फायदा उठाते हुए हिंसा की आग को हवा देने में पूरी तरह से जुटे हुए हैं।