मणिपुर सरकार ने राज्य में अवैध रूप से घुसनेवाले घुसपैठियों को सहायता न देने और प्रवेश रोकने को लेकर आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार राज्य में निजी संस्थाओं के भी कैंप गठित करने और घुसपैठ करके आए लोगों को अन्न व राहत देने पर रोक लगा दी गई है। इससे तथाकथित उदारवादी और विपक्ष के पेट में दर्द शुरू हो गया है और राज्य सरकार उनके निशाने पर आ गई है।
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर विपक्ष के समर्थक और तथाकथित उदारवादी विभिन्न प्रकार की टिप्पणियां कर रहे हैं। कांग्रेस समर्थक साकेत गोखले लिखते हैं कि उस पर बेशर्मी लिखना भी कम है।
Just 48 hours after the massacre of 144 civilians (including a 13 year old girl) & with daily constant attacks on people by Myanmar Army, India issues orders to STARVE any hungry Burmese refugees fleeing the violence & to send them back.
Shameless is an understatement. pic.twitter.com/F3KS8pFcIw
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) March 29, 2021
दूसरी एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने लिखा है कि हम इतना नीचे कैसे जा सकता है।
When did we stoop so low.
Circular issued by home department of Manipur to 'not provide food and shelter' to #Myanmar refugees. pic.twitter.com/4v1WbewtIo— Neha Dixit (@nehadixit123) March 29, 2021
इसलिए घुसपैठियों एलर्ट मोड पर हैं राज्य
बता दें कि, म्यांमार में सैन्य प्रशासन ने 1 फरवरी को तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद वहां की जनता ने कड़ा विरोध किया तो सैन्य प्रशासन ने विरोध को बल पूर्वक दबाना शुरू कर दिया। इसके बाद से देश में स्थिति बदतर होती जा रही है। म्यांमार से लगी सीमा वाले भारतीय राज्यों में घुसपैठ शुरू हो गई है। जिससे इन राज्यों में रोहिंग्या से उत्पन्न समस्या का समाधान तो नहीं निकल पाया लेकिन म्यांमार के घुसपैठियों के कारण नई समस्या खड़ी होने की परिस्थिति बन गई है।
बंदिश के कारण
असम में सीएए का विरोध करनेवाले म्यांमार से घुसपैठ को लेकर समर्थन में हैं। जबकि, मणीपुर सरकार ने राज्य के संसाधनों पर पड़नेवाले बोझ और घुसपैठियों के कारण राज्यों में बदलते जनसंख्या अनुपात को लेकर चिंता के अनुरूप कदम उठाया है। सरकार के अनुसार घुसपैठ करनेवालों को अन्न व रहने का स्थान देने से इस प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल सकता है।