मनसुख हिरेन मौत मामले में आखिरकार महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार को विपक्ष की मांग आंशिक रुप से ही सही माननी पड़ी है। सरकार ने इस मामले में संदिग्ध सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे को क्राइम ब्रांच से हटाकर किसी और विभाग में तैनात करने की घोषणा की है। गृह मंत्री अनिल देशमुख ने यह घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया है ताकि मनसुख हिरेन की मौत मामले की निष्पक्ष जांच की जा सके।
विपक्ष इस मामले को लेकर 9 मार्च से ही आक्रामक भूमिका में है और बजट सत्र के आखिरी दिन यानी 10 मार्च को भी इस मुद्दे को लेकर विधान परिषद में उसने सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की।
सरकार को घेरने की कोशिश
10 मार्च को विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने मनसुख हिरेन मामले में वाझे की संदिग्धता को लेकर आक्रामक रुख अपनाया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। दरेकर ने इस मामले में सरकार से अपनी भूमिका स्पष्ट करने की मांग की। इसके बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख ने वाझे को क्राइम ब्रांच से स्थानांतरण करने की घोषणा कर विपक्ष को शांत कराने की कोशिश की।
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विपक्ष ने अपनाया आक्रामक रुख
प्रवीण दरेकर ने सदन में कहा कि जब तक सचिन वाझे को निलंबित नहीं किया जाता, तब तक वे सत्र नहीं चलने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ठाकरे सरकार अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार है। इस सरकार की छवि खराब हो गई है। वाझे को अविलंब गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उसे निलंबित कर उसके खिलाफ जांच की जानी चाहिए। लेकिन यह सरकार एक संदेहास्प्द पुलिस अधिकारी को बचाना चाहती है। इस सरकार की वाझे के खिलाफ कार्रवाई करने की मानसिकता नहीं है। उनके इस आक्रामक रुख के बाद सरकार ने वाझे के विभाग को बदलने की घोषणा की।
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फडणवीस ने भी किया था हमला
बता दें कि विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने 9 मार्च को भी सचिन वाझे को निलंबित करने के साथ ही गिरफ्तार करने की भी मांग की थी। उनके आक्रामक रुख के कारण महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। हालांकि उसने विपक्ष की मांग को पूरी तरह नहीं माना है लेकिन आंशिक रुप से मानते हुए वाझे को क्राइम ब्राच से हटाने की घोषणा की है।