25 मार्च को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में नरसंहार मामले की जांच के आदेश दिए हैं। हिंसा में 10 लोगों की मौत हो गई थी। बीरभूम हिंसा में कलकत्ता न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी।
न्यायालय का यह आदेश पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के लिए कारारा झटका है और भविष्य मे उसकी परेशानी बढ़ सकती है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला अंतर्गत रामपुरहाट ब्लॉक के बगटुई गांव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उप प्रधान भादू शेख की 21 मार्च की रात बम मारकर हत्या करने की घटना के बाद हिंसा भड़क गई थी। आरोप है कि बदला लेने के लिए शेख के समर्थकों ने गांव में कम से कम 10 से 12 घरों में आग लगा दी थी, जिसमें 10 लोगों की मौत के दावे किए जा रहे हैं। मरने वालों में दो बच्चे भी हैं।
पीड़ितों से मिली थीं ममता
24 मार्च को ममता बनर्जी पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी। उन्होंने हिंसा में जले हुए घरों को एक बार फिर से बनाने के लिए 2 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है। इसके अलावा, उन्होंने पीड़ितों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने का ऐलान किया है। इसके अलावा हिंसा से प्रभावित दस परिवारों को नौकरी देने का वादा करते हुए बनर्जी ने कहा कि वह कोशिश करेंगी कि इस मामले में जल्द से जल्द इंसाफ दिया जा सके।
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सुनवाई जल्द करने का आदेश
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला अंतर्गत रामपुरहाट के बगटुई गांव में हिंसा और आगजनी में दो बच्चों सहित कई लोगों की मौत की घटना पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है। उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीर अपराध करार देते हुए जल्द ही सुनवाई करने का आदेश दिया है।
सीबीआई अथवा एनआईए से जांच कराने की बात कही थी
इस मामले को स्वत: संज्ञान लेकर मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा था कि यह घटना स्तब्ध करने वाली है। उन्होंने कहा, ”यह एक गंभीर अपराध है। इस घटना में बच्चों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। कुछ घरों में आगजनी की गई।” मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, “बगटुई में हुई घटना की जांच होनी चाहिए। दोषी लोगों को उचित सजा मिलनी चाहिए। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।” इसके अलावा अधिवक्ता अनिद्य कुमार दास ने एक जनहित याचिका भी लगाई है, जिसमें नरसंहार की सीबीआई अथवा एनआईए से जांच कराने की मांग की गई है।