मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मराठा समाज में जिन लोगों की वंशावली में निजामकालीन शासन के दौरान शिक्षा और राजस्व में आरक्षण का उल्लेख होगा, उन्हें कुनबी जाति का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इससे संबंधित शासन आदेश राज्य सरकार बहुत जल्द जारी करेगी। इसके लिए पूर्व न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। यह समिति राजस्व सचिव की देखरेख में काम करेगी और एक महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को देगी।
उधर इसी मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल कर रहे मराठा क्रांति मोर्चा के संयोजक मनोज जारंगे पाटील ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के निर्णय के बाद अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे। 7 सितंबर को दिन में 11 बजे तक शासन निर्णय मिलने के बाद वे भूख हड़ताल को वापस लेने का निर्णय लेंगे।
जाति प्रमाण पत्र को लेकर बड़ा निर्णय
जानकारी के अनुसार, मराठा समाज को 1962 से पहले निजामकालीन शासन में मराठवाड़ा में कुनबी जाति का प्रमाणपत्र मिल रहा था। लेकिन मराठवाड़ा जब संयुक्त महाराष्ट्र में शामिल हो गया तो यह जाति प्रमाणपत्र मिलना बंद हो गया।मराठा क्रांति मोर्चा के संयोजक मनोज जारंगे पाटील ने मराठा समाज कुनबी जाति प्रमाणपत्र दिए जाने की मांग को लेकर पिछले नौ दिनों से भूख हड़ताल कर रहे थे। मनोज जारंगे की मांग को लेकर 6 सितंबर को कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों के पास निजामकालीन शासन के कुनबी जाति प्रमाणपत्र के सबूत होंगे। उन्हें कुनबी जाति प्रमाणपत्र दिए जाने का निर्णय लिया है। साथ ही निजामकालीन शासन के दौरान जारी शिक्षा और राजस्व क्षेत्र में आरक्षण की छानबीन के लिए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित करने का भी निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
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मुख्यमंत्री शिंदे ने बताया कि राज्य सरकार मराठा आरक्षण के लिए सकारात्मक है। राज्य सरकार ने मराठा समाज को आरक्षण दिया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में नहीं टिक सका। राज्य सरकार मराठा आरक्षण के लिए काम कर रही है।
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