मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले के अपने गांव में आमरण अनशन कर रहे मनोज जरांगे पाटील ने आखिरकार शिंदे सरकार की बात मान ली है। उन्होंने अपना आमरण अनशन तोड़ दिया है। हालांकि उन्होंने शिंदे सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि मराठा समाज को अगले दो महीने में आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने इसके लिए सरकार को दो जनवरी तक की मोहलत दी है।
आखिरकार मरठा समाज को आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील को मनाने में शिंदे सरकार के प्रतिधिमंडल को सफलता मिल गई है। 2 नवंबर को उन्हें मनाने अनशन स्थल पर पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें यह समझाने में सफलता हासिल की कि सरकार उनकी मांग को लेकर गंभीर है। उनकी बातों को मानते हुए जरांगे ने सरकार को दो महीने की मोहलत दी और अनशन तोड़ने की घोषणा की।इसके साथ ही शिंदे सरकार ने चैन की सांस ली है। लेकिन आगे की उसकी चुनौती बनी हुई है।
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जरांजे पाटील ने कहाः
जरांजे ने कहा कि शिंदे सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने हमसे समय मांगा। कोई बात नहीं। इसे कुछ समय देते हैं। 40 साल दिए हैं, कुछ और समय देते हैं। लेकिन आरक्षण आंदोलन नहीं रुकेगा। आप समय लें, लेकिन हमें आरक्षण दीजिए, लेकिन अब दिया गया ये समय आखिरी होगा। मनोज जारांगे पाटील ने कहा कि हम सरकार को 2 जनवरी तक का समय दे रहे हैं और उन्होंने स्पष्ट किया कि वे फिलहाल अपनी भूख हड़ताल तोड़ रहे हैं। आख़िरकार नौ दिनों के बाद मनोज जारांगे पाटील की भूख हड़ताल ख़त्म हो गई है।
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