127 करोड़ की खिचड़ी किसने-किसने खाई?

कोरोना महामारी में मुंबई में अटके मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए भोजन के पाकिट वितरित किये गए। इन पाकिटों की सप्लाई हॉटेल और सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से की गई। ये सेवा 96 दिन तक चली जिसमें मुंबई महानगर पालिका ने 127 करोड़ रुपए खर्च किये।

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कोरोना महामारी में लॉकडाउन ने लाखों लोगों को आश्रित बना दिया था। इसके लिए सरकार ने जरूरतमंदों को भोजन के पाकिट वितरित किये। लेकिन इस पाकिट वितरण में शामिल कुल संस्थाओं में से आधे से ज्यादा नेताओं के करीबी थे। इसलिए अब सरकारी खिचड़ी जनता में किसने-किसने पाई और संस्थाओं में किसने-किसने खाई ये सबसे बड़ा प्रश्न है।

कोरोना महामारी में मुंबई में अटके मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए भोजन के पाकिट वितरित किये गए। इन पाकिटों की सप्लाई हॉटेल और सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से की गई। ये सेवा 96 दिन तक चली, जिसमें मुंबई महानगर पालिका ने 127 करोड़ रुपए खर्च किये। इस कार्य के लिए ताज हॉटेल, धार्मिक संस्था, महिला बचत गट को चुना गया। लेकिन कुल 53 संस्थाओं में से 29 संस्थाएं नेताओं से संबंधित लोगों की निकलीं।

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जो वादा किया वो भुला दिया
कोरोना से लड़ाई में फ्रंटलाइन वर्कर यानी डॉक्टरों को मुफ्त भोजन देने की घोषणा ताज हॉटेल ने की थी। लेकिन जब यह मामला खिंचता गया तो ताज हॉटेल ने हाथ खड़े कर दिये। आखिरकार मुंबई मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने डॉक्टरों की मांग पर ताज हॉटेल से भोजन आपूर्ति की मंजूरी दे दी। इसके लिए जिन संस्थाओं को भुगतान किया गया, उसमें सबसे ज्यादा भुगतान ताज हॉटेल को किया गया, जो 3 करोड़ रुपए का था। इसके अलावा गुरुसिंह सभा, इस्कॉन, महिला बचत समेत 53 संस्थाओं ने भोजन पाकिट वितरण किया। इनमें से कई संस्थाओं ने मुफ्त की कहकर शुरुआत की लेकिन बाद में हाथ खड़े कर दिये।

किस-किस की खिचड़ी
मुफ्त भोजन में खिचड़ी, बिर्यानी, दाल, चावल दिया जा रहा था। 8 अप्रैल से यह योजना शुरू की गई थी, जो 14 जुलाई तक चली। 96 दिन चली इस योजना में कम्यूनिटी किचन योजना के अंतर्गत भोजन मंगाए गए।

भोजन के तय सरकारी दर
300 ग्राम खिचड़ी, पुलाव या बिर्यानी प्रति पाकिट 40/ रुपए
300 ग्राम खिचड़ी, पुलाव या बिर्यानी प्रति पाकिट 20/रुपए
(चावल व दाल प्रशासन द्वारा दिये जाने पर)

कुल 53 संस्थाओं में से 29 संस्थाएं नेता और मंत्रियों से संलग्न लोगों की थीं ,जिन्हें भुगतान किया गया। संस्थाओं को जो वास्तविक भुगतान किया गया, इसके अनुसार 300 ग्राम खिचड़ी, पुलाव या बिर्यानी के लिए प्रति पाकिट 34.65/ रुपए दिये गये। जबकि महिला बचत समूहों को चावल, दाल देकर प्रति पाकिट 29 से 32 रुपए के बीच भुगतान किया गया। गुरुसिंह सभा को प्रति पाकिट 19 रुपए की अदायगी की गई। इसी प्रकार ताज सेंट्स एयर कैटरिंग लिमिटेड को प्रति पाकिट 41.30/रुपए अदा किये गए। इस प्रकार से ताज सेंट्स को सबसे ज्यादा भुगतान यानी 2 करोड़ 93 लाख 30 हजार 754 रुपए किया गया।

दिखाया सेवा पर वसूला मेवा
भोजन सप्लाई करनेवाली संस्थाओं में ताज, गुरुसिंह सभा, इस्कॉन ने इसे मुफ्त सेवा के रूप में प्रदर्शित किया। लेकिन वास्तविकता में इन पाकिटों के पैसे चार्ज किये।यह क्या सही में मदद थी? यह प्रश्न उठ खड़ा हो गया है। मुंबई महानगर पालिका ने इस पूरी योजना पर 127 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया है, जिसमें से 109.50 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है। इस खर्च के लिए 23 करोड़ रुपए जिलाधिकारी कार्यालय ने दिये हैं, लेकिन बकाया 104 करोड़ रुपए मुंबई मनपा को खर्च करना होगा।

खर्च पर हो सकता है बवाल
127 करोड़ रुपए खर्च करके प्रतिदिन 90 हजार लोगों को किया जानेवाला भोजन वितरण धीरे-धीरे 3.25 लाख पाकिट प्रतिदिन तक चला गया। 96 दिनों में 227 मनपा वार्डों के हिसाब से प्रति नगरसेवक 1.5 लाख पाकिट वितरित किये गए। जब इसका हिसाब मनपा पेश करेगी तो बवाल हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।

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