केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसानों का प्रदर्शन जारी है। मेट्रो मैन ई. श्रीधरन ने किसानों के इस आदोलन का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग धरना दे रहे हैं, वे किसान नहीं बल्कि बिचौलिए हैं। इसका विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि ये आंदोलन सिर्फ मोदी सरकार के विरोध में है और उनको बदनाम करने के लिए है।
मेट्रो मैन का कहना है कि जिस तरह दिल्ली की सीमा पर ये लोग बैठे हुए हैं, उससे खुद का भी नुकसान हो रहा है, लेकिन फिर भी कुछ लोग इनको बिठाए हुए हैं। बता दें कि पंजाब, हरियाणा और यूपी के सैकड़ों किसान चार माह से अधिक समय से दिल्ली की तीन सीमाओं पर जमे हुए हैं।
किसान नहीं बल्कि बिचौलिए हैं ये
केरल में मामूली अंतर से विधानसभा चुनाव में हार गए ई श्रीधरन से जब किसानों के आंदोलन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ये पीएम मोदी विरोधी आंदोलन है, आंदोलन करने वाले वास्तव में किसान नहीं बल्कि बिचौलिए हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, उनमें से कितने लोगों ने उस कानून को पढ़ा है, क्या उनमें से किसी को इसके बारे में जानकारी हैं।
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पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार से उत्साहित
बता दें कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद आंदोलन कर रहे किसान काफी उत्साहित हैं और वे इसका श्रेय किसान आंदोलन को दे रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि या तो सरकार कृषि कानूनों को वापस ले ले या फिर किसान अपना संघर्ष और तेज करने पर मजबूर हो जाएंगे। बता दें कि राकेश टिकैत दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर कई महीनों से अपने समर्थकों के साथ बैठे हुए हैं। वे कृषि कानूनों को किसानों के लिए काला कानून बता चुके हैं।