बजट सत्र में संसद का कार्यकाल काफी हंगामेदार रहा। इस बीच सरकार से लव जिहाद को लेकर प्रश्न पूछा गया। ये प्रश्न भाजपा शासित राज्यों में लव जिहाद (धर्मांतरण विरोधी कानून) कानून लाए जाने के बाद उठा है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि ऐसे कानून को लेकर उसकी कोई योजना नहीं है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि, धर्मांतरण विरोधी कानून या लव जिहाद को रोकने, इसका पता लगाने, जांच करने और उसे कानूनी दायरे में सजा देने का मामला राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र का मामला है। इसके लिए केंद्र सरकार की कोई योजना नहीं है कि वो कोई कानून ले आए।
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केंद्रीय राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा को सूचित किया कि, संविधान की सातवीं सूचि के अंतर्गत पब्लिक ऑर्डर और पुलिस राज्य सरकारों का विषय है। इसलिए धार्मांतरण की रोकथाम, पहचान, पंजीकरण, जांच और कानूनी कार्रवाई राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र का विषय है। इसमें जब भी हिंसा के मामले सामने आते हैं तो कार्रवाई वर्तमान कानूनों के अंतर्गत कानून व्यवस्था बनाए रखनेवाली एजेंसियां करती हैं।
बता दें कि, भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में लव जिहाद पर रोक के लिए धर्मांतरण विरोध कानून लाया गया है। जबकि असम और कर्नाटक ने कानून बनाने की घोषणा की है।
लव जिहाद के नाम पर धर्मांतरण पर रोक
सूत्रों के अनुसार, लव जिहाद का अर्थ दो भिन्न धर्म के लोगों का विवाह। इसमें महिलाओं को जबरदस्ती या बहलाकर मुस्लिम व्यक्तियों द्वारा धर्मांतरित कराया जाता है। 2010 में केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने पीएफआई समेत कुछ संस्थाओं पर आरोप लगाया था कि ये संस्थाएं केरल को मुस्लिम बाहुल्य बनाने के लिए पैसे बहा रही हैं। 2020 में जी किशन रेड्डी ने संसद को सूचित किया था कि लव जिहाद अब के किसी कानून में वर्णित नहीं है और न ही ऐसा कोई मामला केंद्रीय एजेंसियों के समक्ष आया है।
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- 28 नवंबर, 2020 में उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने लव जिहाद पर रोक के लिए अध्यादेश लाया। इस अध्यादेश के अंतर्गत अस्तित्व में आए कानून को उत्तर प्रदेश प्रोहीबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रेलीजन ऑर्डिनेंस, 2020 को कहा जाता है।
- जनवरी 2021 में मध्य प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रेलीजन ऑर्डिनेंस, 2020 लाया। इसके अंतर्गत लव जिहाद के जरिये धर्मांतरण की स्थिति में कड़े कानूनों का प्रावधान किया गया।
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