देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो सुखद संयोग है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार आठ वर्ष पूरा कर चुकी है। आठ वर्ष में मोदी ने देश को कई बड़ी जन कल्याणकारी योजनाओं की सौगात दी। वहीं, भाजपा के शिखर पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों को भी साकार किया।
वाजपेयी द्वारा बिहार में शिलान्यास की गई दो बड़ी परियोजना श्रीकृष्ण सेतु और कोसी महासेतु को चालू कर सरकार ने इतिहास गढ़ा है। सबसे बड़ी बात है कि अयोध्या में जब श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया तो बिहार और नेपाल के बीच ध्वस्त रेल संरचना को पुनर्निर्मित कर मां सीता की जन्मभूमि जनकपुर धाम से अयोध्या जाना आसान कर दिया।
रेल परियोजनाएं पूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन एवं मार्गदर्शन में भारतीय रेल नई उंचाईयों को छू रहा है। इसमें बिहार में पिछले आठ वर्षों में रेलवे द्वारा आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिये नई लाइन, आमान परिवर्तन, दोहरीकरण तथा विद्युतीकरण पूरा होने से क्षेत्र में विकास को एक नई दिशा मिली है। बिहार में रेलवे के आधारभूत संरचनाओं एवं यात्री सुविधा के विकास के लिए 2014 से 2022 तक प्रतिवर्ष औसतन 3960 करोड़ रुपये का आवंटन किए जाने से बिहार में कई परियोजनाओं को पूरा किया जा सका है।
88 वर्ष बाद कोसी से जुड़ा मिथिलांचल
-पिछले आठ वर्षों में बिहार में 309 किलोमीटर की पांच नई रेल लाईन, 370 किलोमीटर के 12 रेल लाईन का आमान परिवर्तन, 243 किलोमीटर के 12 लाईनों का दोहरीकरण पूरा कर ट्रेनों का परिचालन शुरू किया जा चुका है। गंगा नदी पर दीघा एवं मुंगेर में दो महासेतु का निर्माण किया गया, जिससे उत्तरी बिहार एवं दक्षिणी बिहार के बीच आवागमन में काफी मदद मिली।
-कोसी नदी पर महासेतु बनने से 88 वर्षों के बाद कोसी और मिथिलांचल के बीच रेल संपर्क फिर शुरू हो सका। यहां के लोगों ने फिर से रेल सेवा शुरू होने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा देखे गए सपने को नरेन्द्र मोदी ने त्वरित गति से साकार किया। इसके साथ ही सोन नदी पर डेहरी-ऑन-सोन और सोननगर के बीच नया पुल, हाजीपुर एवं सोनपुर के बीच गंडक नदी पर दूसरा रेल पुल तथा कोसी नदी पर कटरिया एवं कुरसेला के बीच नए पुल का निर्माण किया गया।
सेना को चीन की सीमा पर जाना होगा आसान
-प्रधानमंत्री द्वारा बेगूसराय एवं पटना के बीच स्थित वर्तमान राजेन्द्र पुल (सिमरिया पुल) के समानांतर एक नए रेल पुल की आधारशिला रखी गई। इस पुल का निर्माण काफी तेज गति से चल रहा है। इस डबल लाइन पुल के बन जाने से उत्तर बिहार और दक्षिण भारय ही नहीं, पश्चिम और राजधानी से होगा। सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस पुल के निर्माण हो जाने से देश के विभिन्न कमांड से चीन की सीमा पर सेना को भेजना सुगम हो जाएगा।
-अभी राजेन्द्र सेतु पर सिंगल लाइन रहने के कारण तीनों दिशाओं में ट्रेन को इंतजार करना पड़ता है। आधारभूत संरचनाओं के निर्माण से ना केवल इस क्षेत्र के लोगों को सस्ती, सुलभ एवं आरामदायक आवागमन की सुविधा उपलब्ध हुई। बल्कि सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है जो भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा।
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक भारत-नेपाल रेल सेवा
-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा द्वारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए दो अप्रैल को जयनगर-जनकपुर धाम-कुर्था के बीच नव आमान परिवर्तित रेल लाईन पर ट्रेन सेवा की शुरुआत, सिर्फ एक रेल सेवा ही नहीं, बल्कि दोनों देशों की सदियों पुराने द्विपक्षीय रिश्तों को प्रगाढ़ करने का साधन है। इस रेल सेवा के शुरू हो जाने के बाद ना केवल जनकपुर धाम जाने वाले भक्तों और पर्यटकों की यात्रा सुगम हो गई, बल्कि व्यापार को बढ़ावा, पर्यटकों के आवागमन में सुविधा तथा सीमावर्ती क्षेत्र का तेजी से विकास होगा।
-1937 में भारत के जयनगर और नेपाल के बैजलपुर के मध्य नैरो गेज पर ट्रेनों के परिचालन की शुरूआत की गई थी। लेकिन 2001 में नेपाल में आए भीषण बाढ़ में कुछ रेल पुलों के बह जाने के कारण नेपाल में जनकपुर से आगे ट्रेन सेवा बंद करना पड़ा था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत सरकार एवं नेपाल सरकार के आपसी समझौते के तहत जयनगर-बैजलपुरा-बर्दीबास के बीच नई बड़ी रेल लाईन स्थापित करने का निर्णय लिया गया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने वित्त पोषित किया तथा जयनगर-जनकपुर धाम-कुर्था रेलखंड पर परिचालन शुरू भी कर दिया गया है।
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