Modi Cabinet: यूपी से ऐसे साधे गए जातीय समीकरण

देश की संसद को सबसे ज्यादा 80 सांसद देने वाले यूपी से 10 सदस्यों को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है, जिसमें जातीय संतुलन और समीकरणों को ध्यान में रखा गया है।

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Modi Cabinet: 18वीं लोकसभा के चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद 9 जून को नई सरकार का गठन हो गया है। नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री की शपथ ली है। देश की संसद को सबसे ज्यादा 80 सांसद देने वाले यूपी से 10 सदस्यों को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है, जिसमें जातीय संतुलन और समीकरणों को ध्यान में रखा गया है।

इस बार घटी एनडीए की सीटें
2019 में बीजेपी 62 और अपना दल एस 2 सीटों पर जीते थे। 16 सीटें सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस ने जीती थी। 2024 के चुनाव में यूपी में एनडीए को 36 सीटें मिली हैं। बीजेपी 33, अपना दल एस 1 और राष्ट्रीय लोक दल 2 सीटों पर जीते है।। जबकि इंडी गठबंधन ने 43 सीटें जीती हैं। अन्य को एक सीट पर जीत मिली है। सीटें कम होने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पीएम मोदी सहित 11 मंत्री शामिल किये गए हैं।

जातीय समीकरणों का रखा ध्यान
मोदी सरकार में यूपी से पांच पिछड़े, दो दलित और तीन सामान्य वर्ग से जुड़े नेताओं को मंत्री पद दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद यूपी की वाराणसी सीट से चुनाव जीते हैं। वे यहां से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते हैं। पीएम मोदी वैश्य समुदाय से आते हैं।

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सामान्य जाति के तीन नेताओं को मौका
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में सामान्य जाति के तीन नेताओं को मौका दिया गया है। मोदी के बाद शपथ लेने वाले राजनाथ सिंह और राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह क्षत्रिय समुदाय से आते हैं। जबकि एक अन्य राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आरएलडी के जयंत चौधरी शामिल
मोदी 3.0 सरकार में सहयोगी दलों से आरएलडी के जयंत चौधरी को शामिल किया गया है। जयंत चौधरी जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। जयंत को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी दी गई है। अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को लगातार तीसरी बार मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। अनुप्रिया भी एनडीए का हिस्सा हैं और 2014 से तीसरी बार राज्य मंत्री बनने में सफल रही हैं। अनुप्रिया कुर्मी समुदाय से आती है। कुर्मी वोटरों पर उनकी अच्छी पकड़ है।

राज्यमंत्री देकर सियासी दांव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में मंडल के दो सांसदों पंकज चौधरी और कमलेश पासवान को राज्यमंत्री का ओहदा देकर भाजपा ने बड़ा सियासी दांव चला है। बीजेपी के कोटे से मंत्रिमंडल में शामिल पंकज चौधरी कुर्मी बिरादरी से आते हैं। पंकज मोदी सरकार 2.0 में राज्य मंत्री थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा का कोर वोट बैंक कुर्मी और पासी (अनुसूचित जाति) बिरादरी कई संसदीय सीटों पर छिटक कर गठबंधन के साथ चला गया था। इससे कई सीटों के नतीजे प्रभावित हुए। अब इन दोनों बिरादरी के नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल कर बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की गई है। लोकसभा चुनाव में इस बार वोटबैंक की राजनीति जमकर चली है। अब चुनावी परिणाम आने के बाद भाजपा ने जातिगत समीकरण को तवज्जो देते हुए मंत्रिमंडल में जगह दी है।

पासी समाज को साधने का प्रयास
चुनाव में कई सीटों पर पासी समाज भी भाजपा के साथ नहीं गया। जबकि, यूपी की 10 से 12 सीटों पर पासी समाज की संख्या ज्यादा है। कमलेश पासवान को इसी रणनीति के तहत मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। बांसगांव में कमलेश हर बार पासी समाज को साधने में सफल रहे हैं यह बिरादरी उन्हें अपने नेता के तौर पर मानती है।

दलित समाज को भी साधने की कोशिश
बीजेपी के यूपी से राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा (लोध) समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। दलित समुदाय से आने वाले एसपी बघेल (धंगर) को भी सरकार में जगह दी गई है। राज्यसभा सांसद हरदीप पुरी सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिछले सरकार में भी वो कैबिनेट मंत्री थे। इस बार भी उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।

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