विपक्षी दलों को आशंका, संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार ला सकती है Women’s Reservation Bill

विपक्षी दलों को यह आशंका है कि भाजपा एक लोकसभा क्षेत्र (Lok Sabha constituency) में दो सदस्य एक महिला और एक पुरुष के रूप में चुनने संबंधी विधेयक रख सकती है। विरोधी दलों का मानना है कि इस संदर्भ में भाजपानीत मोदी सरकार पहले से ही तैयारी करके बैठी है।

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केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) ने 18 से 22सितंबर 2023 के बीच संसद का विशेष सत्र (special session of Parliament) बुलाया है। हालांकि अचानक बुलाए गये इस विशेष सत्र को लेकर केंद्र सरकार की तरह से इस संदर्भ में कई जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन तमाम विपक्षी पार्टियों (Opposition parties) को आशंका है कि आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में अपना एक माहौल बनाने के लिए भाजपा (B J P) संसद के इस विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) ला सकती है।

क्या है महिला आरक्षण बिल का प्रावधान ?
विपक्षी दलों को यह आशंका है कि भाजपा एक लोकसभा क्षेत्र (Lok Sabha constituency) में दो सदस्य एक महिला और एक पुरुष के रूप में चुनने संबंधी विधेयक ला सकती है। विरोधी दलों का मानना है कि इस संदर्भ में भाजपानीत मोदी सरकार पहले से ही तैयारी करके बैठी है। फिर भी विरोधी पार्टियां इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया देने से पहले केंद्र सरकार की तरफ से महिला आरक्षण विधेयक को लेकर स्पष्ट खुलासे का इंतजार कर रही हैं।

उपराष्ट्रपति के बयान से मिल रहा आशंका को बल
देश के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने 04 सितंबर को जयपुर में “विश्वविद्यालय महारानी महाविद्यालय” की छात्राओं (female students) के साथ “राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी” विषय पर संवाद कार्यक्रम में विश्वास व्यक्त किया था कि अब वो दिन दूर नहीं जब संविधान (Constitution) में संशोधन करके संसद (Parliament) और विधान सभाओं में महिलाओं को उनका उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। यदि महिलाओं को ये आरक्षण जल्दी मिल गया तो भारत 2047 से पहले ही विश्व शक्ति बन जायेगा। सम्भवतः विपक्षी पार्टियां उपराष्ट्रपति के इस बयान को मोदी सरकार के विशेष सत्र से जोड़ रही हैं ।
गौरतलब हो कि यह बिल वर्ष 2010 में यूपीए सरकार ने राज्यसभा से पास करा लिया था, लेकिन लोकसभा में पास नहीं हो सका था। सपा, राजद समेत कई क्षेत्रीय पार्टियों की मांग थी कि महिला आरक्षण में भी ओबीसी व एससी-एसटी की महिलाओं को आरक्षण मिले।

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