सरकार ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों के कार्यकाल को पांच साल करने का निर्णय लिया है। इन केंद्रीय जांच एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल फिलहाल दो साल का है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र सरकार के दोनों अध्यादेशों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अध्यादेश के अनुसार शीर्ष संस्थानों के प्रमुखों के पद का कार्यकाल दो साल पूरे होने के बाद तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
न्यायमूर्ति एलएन राव की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक एसके मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार से संबंधित एक मामले में फैसला सुनाया था। उस समय न्यायालय ने पाया कि केवल असाधारण परिस्थितियों में ही ईडी प्रमुख के कार्यकाल को विस्तार की अनुमति दी गई थी। मिश्रा का दो साल का कार्यकाल था और यह 17 नवंबर को समाप्त होगा।
पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है कार्यकाल
इस अध्यादेश के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक द्वारा अपना पद ग्रहण करने की अवधि को धारा (ए) के तहत समिति की सिफारिश के अनुसार और लिखित रूप में दिए गए कारणों पर अमल करते हुए एक बार में एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है। लेकिन, ऐसा केवल पांच साल तक किया जा सकता है। निदेशक का कार्यकाल पांच साल पूरा होने के बाद उसे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
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विपक्ष का आरोप
बता दें कि कई बार विपक्ष केंद्र सरकार पर इन एजेंसियों के इस्तेमाल करने का आरोप लगाता है। इस स्थिति में जांच एजेंसियों के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाना विवाद का विषय हो जाता है। कई बार विपक्ष आरोप लगाता है कि सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसियां उन्हें निशाना बना रही हैं। सरकार का कहना है कि ये एजेंसियां नियमों का पालन कर रही हैं और सरकार उनके काम में दखल नहीं दे रही है।