सोशल मीडिया पर घिरे मोदी ,नौकरी को लेकर टेंशन

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मुंबई। जिस सोशल मीडिया का उपयोग करके नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री बने,आज उसी सोशल मीडिया पर उन्हें घेरा जा रहा है। चुनाव से पहले किये गए उनके वादों को उन्हें याद दिलाकर पूरा न करने के लिए खरी-खोटी सुनाई जा रही है ।
मोदी ने चुनाव के वक्त कहा था कि हमारे देश में नवयुवकों की आबादी 60 फीसदी है और देश में जोश और दिमाग की कमी नहीं है। सरकार आते ही इन नवयुवकों का मार्गदर्शन कर उचित नौकरियां दी जाएंगी। लेकिन पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद नवयुवकों के हाथ मे नौकरी मिलने से नवयुवक काफी नाराज हैं। उन्होने इसका इजहार मोदी के जन्मदिन पर बड़े जोर-शोर से किया।
चाय बेचकर और भजिया छानकर विरोध
इस सुनहरे मौके का फायदा उठाने के लिए विरोधी पक्ष के नेता भी बेरोजगारी के मुद्दे पर नवयुवकों का साथ देते नजर आए। पीएम मोदी के जन्मदिन पर बेरोजगार युवकों ने कहीं चाय बेच कर तो कहीं भजिया बेच कर और कहीं बेरोजगारी का केक बांटकर केंद्र सरकार का विरोध किया । विरोध प्रदर्शन कर रहे महाराष्ट्र कांग्रेस के युवा दल के अध्यक्ष अभिजीत ने कहा कि मोदी जी ने देश के नवयुवकों को गुमराह करने का काम किया है। इनके कार्यकाल में अभी तक देश के 13 करोड़ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। सरकार की रोजगार नीति पूरी तरह से फेल हो गई है । युवा दिशाहीन हो गया है। दूसरी तरफ कोरोना संकट ने तो आग मे घी का काम किया है। कोरोना संकट की इस घड़ी मे मोदीजी ने देश के उद्योगपतियों और सस्थओं से अपील की थी कि किसी को नौकरी से न निकाला जाए, उसके बावजूद मई से लेकर अगस्त 2020 तक देश में 66 लाख नौकरियां जा चुकी हैं।
आखिर क्यों जा रही है नौकरियां?
कोरोना संकट की इस घड़ी में लोगों की नौकरियां तेजी से जा रही है। निजी संस्थान और बाजार खोलने देने के बावजूद लोगों की नौकरियां जाने का सिलिसला थम नहीं रहा है। दादर में नक्षत्र मॉल में गारमेंट का व्यापार करने वाले मेहुल बताते हैं कि जब से मॉल खुला है, एक भी रुपये की ग्राहकी नहीं हो रही है। दुकान मे 8 से 10 लोग काम करते हैं। इस हालत में उन्हें कहां से और कब तक सैलरी दें। इसलिए 10 के बजाय अब 4 लोग ही काम पर हैं।
मेहुल ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं, हजारों ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपनी कम्पनियां तो चालू कर दी है लेकिन ऑर्डर न मिलने से कंपनी का महीने का खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे मे कर्मचारियों की छटनी के अलावा कोई चारा नहीं है।
होटल का व्यवसाय करने वाले मोहन शेट्टी के पास दो शिफ्ट में काम करने वाले 25 लोग थे लेकिन अब यह संख्या 15 तक सिमित हो गई है। ग्राहक कोरोना को लेकर डरे हुए हैं। लोग होटल खुलने के बावजूद ना ही खाने के ऑनलाइन ऑर्डर दे रहे,और न होटल आ रहे हैं। ऐसे में प्रतिदिन हरी सब्जियों का नुक्सान तो हो ही रहा है, साथ मे होटल का रेंट, और कर्मचारियों की सैलरी को लेकर चिंता बनी हुई है। ऐसा कब तक चलेगा, किसी को नहीं मालूम ,ऐसे में खर्च कटौती के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है ।

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