देश की पुरानी संसद (old Parliament) में आज लोकसभा की अंतिम कार्यवाही चल रही है। मोदी सरकार द्वारा बुलाई गये संसद के विशेष सत्र (special session) का शुरुआती भाषण करते प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा को याद करने और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को याद कर करने का अवसर है।
पुरानी संसद में देशवासियों का लगा पैसा और पसीना
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि भले ही इस इमारत के निर्माण का फैसला विदेशी शासकों ने लिया था। लेकिन हमें ये बात कभी नहीं भूलना चाहिए कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा अपने देशवासियों का लगा था। उन्होंने कहा कि हम भले ही संसद के नए भवन में जाएंगे। मगर ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सदन को अवगत कराते कहा कि अब तक करीब 7500 से अधिक पुरुष और करीब 600 महिलाओं ने सांसद के रूप में इस संसद में अपना योगदान दिया है।
भावुक हुए प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि जब पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में आया, तो इस सदन के द्वार पर अपना सिर टिकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को नमन किया था। वो पल मेरे लिए भावनाओं वाला था। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट में पहुंचेगा। लेकिन ये भारत (India) के लोकतंत्र (Democracy) की ताकत है कि देश ने मुझे इतना प्यार और सम्मान दिया है।
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