संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई 11 बजे से प्रारंभ हो गया है। संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चले और बजट सत्र की तरह केवल हंगामे की भेंट न चढ़ जाए, इसके लिए सरकार ने सर्वदलीय बैठक में साफ कह दिया कि वह हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, बशर्ते मामले नियमानुसार उठाए जाएं। बावजूद इसके विपक्ष सरकार को घेरने और हंगामा मचाने की मंशा रखता है। इसकी बानगी सत्र शुरू होने से पहले ही दिख रही है।
सरकार ने सभी मुद्दों पर चर्चा की तैयारी
सरकार ने घोषणा की है कि वह मणिपुर सहित ओडिशा में रेल दुर्घटना आदि मामलों पर नियमानुसार बहस और चर्चा को तैयार है। इसके बावजूद कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज तिवारी, एआईएआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा कार्यालय को स्थगन नोटिस भेजकर मणिपुर पर चर्चा कराए जाने की मांग की है। साफ है कि विपक्ष चाहता है कि शून्य काल या प्रश्न काल को स्थगित करके सबसे पहले मणिपुर में जारी हिंसा पर चर्चा कराई जाए।
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विपक्षी दलों की मंशा पर सवाल
इस संबंध में भाजपा के वरिष्ठ नेता, मेरठ से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि विपक्षी दलों की मंशा हंगामा करने की है, चर्चा करने या कराने की नहीं। संसद में शून्य काल और प्रश्न काल का बहुत महत्व होता है। देश भर के चुने हुए सांसद इस समय में अपनी मांग कर सकते हैं और अपने क्षेत्र की समस्या उठा सकते हैं। इसे स्थगित कर मणिपुर पर चर्चा कराने की मांग सिवाय राजनीति करने के और कुछ नहीं है। विपक्षी दल मणिपुर की समस्या पर नोटिस दे, लोकसभा अध्यक्ष उस पर चर्चा के लिए समय निर्धारित करेंगे और उस पर विस्तार से चर्चा होगी। पर विपक्ष चर्चा नहीं केवल आरोप लगाना और भागना चाहता है।