कांंग्रेस के वरिष्ठ नेता, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह को आयकर विभाग ने नोटिस जारी कर कर्नाटक के एक कांग्रेस नेता से 26 करोड़ रुपये के लेन-देन के मामले में जानकारी मांगी थी। इस पर दिग्विजय सिंह ने उच्च न्यायालय पहुंच गए हैं। आयकर विभाग के इस नोटिस को मप्र उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। अदालत ने आयकर विभाग को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब तलब किया है। फिलहाल मामले की सुनवाई की तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन संभावना है कि जून में इसकी सुनवाई हो सकती है।
जानकारी के अनुसार, आयकर विभाग ने कर्नाटक के कांग्रेस के एमएलसी रहे गोविंद राजू के यहां 15 मार्च 2016 में छापामार कार्रवाई की थी। इस दौरान गोविंद राजू के बेडरूम में एक डायरी मिली, जिसमें उन लोगों के नाम लिखे थे, जिन्हें गोविंद राजू ने पैसे दिए थे। डायरी में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से हुए लेन-देन का भी उल्लेख किया गया था। कर्नाटक के आयकर विभाग ने इसकी सूचना मध्यप्रदेश के आयकर विभाग को दी। इस पर आयकर विभाग ने धारा 148 के तहत दिग्विजय सिंह को नोटिस जारी कर गोविंद राजू के यहां लेनदेन की जानकारी मांगी थी।
आयकर विभाग को मिली डायरी में दिग्विजय सिंह को कुल दो बार रकम देने की बात कही गई है। उनके नाम पर कुल 26 करोड़ रुपये का लेन-देन बताया गया है। कर्नाटक के आयकर विभाग की पूछताछ में गोविंद राजू ने बताया था कि दिग्विजय सिंह को यह रकम पार्टी के काम के लिए दी गई। आयकर विभाग इसी लेन-देन के संबंध में दिग्विजय सिंह से जानकारी मांग रहा है। यह रकम क्यों ली गई, इसे कहां खर्च किया गया, इसके बारे में विभाग दिग्विजय सिंह से जानना चाहता है, लेकिन दिग्विजय सिंह ने मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में दो याचिकाएं दायर कर आयकर विभाग के नोटिस को चुनौती दी है।
दिग्विजय सिंह के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में कहा कि उन्हें धारा 148 के तहत नोटिस नहीं दिया जा सकता है, इस मामले में केवल धारा 153-सी के तहत नोटिस जारी किया जा सकता है, जबकि आयकर विभाग की ओर से पैरवी के लिए अदालत में उपस्थित हुए अधिवक्ता डीपीएस भदौरिया ने कहा कि दिग्विजय सिंह को दोनों धाराओं में नोटिस दिया जा सकता है। अब दिग्विजय सिंह को इस संबंध में जवाब देना है।
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