दिग्विजय सिंह को एक साल की सजा! जानिये, क्या है मामला

17 जुलाई 2011 को पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उज्जैन आए थे। उसी दौरान दो गुटों में मारपीट हुई थी।

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मध्य प्रदेश के जिला न्यायालय के कोर्ट नंबर 30 के न्यायाधीश मुकेश नाथ ने 26 मार्च को एक 11 साल पुराने मारपीट के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू सहित 6 आरोपितों को एक-एक साल की सजा और पांच-पांच हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। इस मामले में तीन अन्य आरोपितों को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। धारा 325 के तहत सजा होने के चलते सजा सुनाने के कुछ ही देर बाद दिग्विजय सिंह समेत सभी आरोपितों को 25-25 हजार के मुचलके पर जमानत भी दे दी गई।

जानकारी के अनुसार 11 साल पुराने मारपीट के जिस मामले में सजा सुनाई गई है, वह 17 जुलाई 2011 का उज्जैन का है। उस समय दिग्विजय सिंह और प्रेमचंद गुड्डू को भाजपा कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए थे। इसी दौरान दोनों पक्षों में विवाद हो गया था और मामला मारपीट तक आ पहुंचा था। मामले में भाजपा नेताओं की शिकायत पर दिग्विजय सिंह, प्रेमचंद गुड्डू, तत्कालीन एमएलए महेश परमार सहित अन्य पर केस दर्ज किया गया था।

बाद में जोड़ा गया था नाम
मामले में खास बात यह कि एफआईआर में दिग्विजय सिंह का नाम ही नहीं था लेकिन बाद में अभियोजन ने धारा 319 के तहत एक आवेदन देकर उनका नाम जुड़वाया गया था। प्रकरण का विचारण भोपाल के विशेष न्यायालय में चल रहा था, लेकिन पिछले दिनों जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की सुनवाई के लिए इंदौर में विशेष न्यायालय गठित होने के बाद प्रकरण भोपाल से इंदौर विशेष न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। 26 मार्च को विशेष न्यायाधीश मुकेश नाथ ने मामले में फैसला सुनाया।

यह था मामला
जानकारी के अनुसार, 17 जुलाई 2011 को पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उज्जैन आए थे। भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने दिग्विजय सिंह और अन्य कांग्रेसी नेताओं को काले झंडे़ दिखाए थे। इससे नाराज होकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भाजयुमो कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट कर दी। घटना में भाजयुमो के अमय आप्टे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस मामले में जीवाजी गंज पुलिस थाने में कांग्रेस नेताओं पर जानलेवा हमले की कोशिश का प्रकरण दर्ज हुआ था।

आरोपितों ने कोर्ट में रखा था यह तर्क 
एडवोकेट कमल गुप्ता के अनुसार प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने एक आवेदन दिया था कि मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी संलिप्तता है। उनका नाम भी एफआईआर में जोड़ा जाए। कोर्ट ने इस आवेदन को स्वीकारते हुए सिंह का नाम एफआईआर में जोड़ लिया। आरोपितों ने कोर्ट में तर्क रखा था कि दिग्विजय सिंह को 2011 में जेड सुरक्षा मिली थी। ऐसे में संभव नहीं है कि वे सुरक्षा घेरा तोड़कर जाएं और किसी के साथ मारपीट करें। कोर्ट ने दलीलों को खारिज कर दिया। प्रारंभिक रूप से कांग्रेस नेताओं पर एफआईआर में जानलेवा हमले की धारा 307 भी लगाई थी।

इन्हें बनाया गया था आरोपी
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, तराना से विधायक महेश परमार, दिलीप चौधरी, जय सिंह दरबार, असलम लाला, अनंत नारायण मीणा, मुकेश भाटी और हेमंत चौहान को आरोपित बनाया गया था। विशेष न्यायालय ने मामले में मुकेश भाटी, हेमंत चौहान और तराना विधायक महेश परमार को बरी कर दिया, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, दिलीप चौधरी, जयसिंह दरबार, असलम लाला, अनंत नारायण मीणा को एक-एक साल की सजा और पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया।

शाम करीब 6.15 बजे कोर्ट ने सुनाया फैसला
करीब 11 साल से चल रहे इस प्रकरण के निर्णय से पहले जिला कोर्ट मं आखिरी तारीख पर दिग्विजय सिंह, गुड्डु व अन्य नेता खुद पेश हुए। कोर्ट ने पहले सुनवाई के लिए 3.30 बजे का वक्त तय किया था। सिंह पहुंचे तो वकीलों ने 4.50 बजे का समय दिया। बाद में शाम करीब 6.15 बजे कोर्ट ने निर्णय सुनाया। इस दौरान दिग्विजय सिंह करीब दो घंटे तक कोर्ट रूप में ही बैठकर इंतजार करते रहे। सजा सुनाने के बाद फैसले की प्रति लेने और फिर जमानत की प्रक्रिया चलती रही। इस दौरान कोर्ट रूम के बाहर बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता मौजूद रहे। शाम 7 बजे तक जिला कोर्ट में गहमा-गहमी थी। इसके बाद अदालत ने 25-25 रुपये के मुचलके पर सभी को जमानत पर रिहा कर दिया।

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