ये तो उत्तर भारतीयों से द्वेष… कृत्रिम तालाब निर्माण के खर्च पर विवाद

छठ पूजा पर भीड़ टालने के लिए मुंबई मनपा ने कोविड-19 दिशानिर्देशों के अधीन कृत्रिम तालाबों के निर्माण और सीमित लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति दी है।

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उत्तर भारत के बड़े पर्व छठ पूजा के लिए कृत्रिम तालाब निर्माण का मुद्दा अब विवाद का रूप धारण कर रहा है। मुंबई मनपा द्वारा जारी नियमावली में ऐसे तालाबों का खर्च उत्तर भारतीय समाज या संस्थाओं को स्वयं वहन करना होगा। जिस पर भाजपा ने तीव्र विरोध जताया है।

छठ पूजा के लिए सीमित संख्या में पूजा की अनुमति के लिए भाजपा का प्रयत्न सफल रहा। मंबई मनपा ने भाजपा नेता भालचंद्र शिरसाट के पत्र को संज्ञान में लेते हुए कोरोना दिशानिर्देशों के अनुरूप पूजा की अनुमति दे दी है। इसमें मनपा ने जगह-जगह कृत्रिम तालाबों के निर्माण की अनुमति भी दे है, परंतु इसके निर्माण और उसे पाटने तक का पूरा खर्च संस्थाओं को करना होगा। इसे लेकर अब भाजपा की ओर से विरोध जताया गया है।

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मुंबई महानगर पालिका ने छठ पूजा के सर्क्यूलर जारी किया है, जिसमें लिखा है कि उत्तर भारतीय समाज और स्वयंसेवी संस्था कृत्रिम तालाब का निर्माण स्वखर्च से करें।

उद्धव जी, आपका हिंदू विरोधी चेहरा तो देश ने देख लिया है, लेकिन इस सर्क्यूलर से आपका उत्तर भारतीय समाज के प्रति द्वेष भी स्पष्ट होता है। अगर बीएमसी ने छठ पूजा के लिए कृत्रिम तालाब का निर्माण अपने खर्च से नहीं किया तो आगामी चुनाव में उत्तर भारतीय समाज इसका उत्तर अवश्य देगा।
संजय पाडेय – अध्यक्ष, उत्तर भारतीय मोर्चा, महाराष्ट्र प्रदेश

बता दें कि, आगामी 9 नवंबर को खरना के साथ छठ पूजा का आरंभ होगा, दूसरे दिन 10 तारीख को तालाब, नदी, समुद्र के पानी में खड़े होकर अस्ताचल सूर्य की उपासना की जाएगी और 11 तारीख को उसी स्थान पर सूर्योदय को अर्ध्य देकर यह पर्व समाप्त हो जाएगा।

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