देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में जहां ऑक्सीजन की भारी कमी है, वहीं मुंबई महानगरपालिका के अस्पतालों और प्रसूति वार्डों में ऑक्सीजन आपूर्ति का ठेका पिछले नवंबर में खत्म हो ही गया है, और अभी भी उन्हीं पुरानी कंपनियों से लिक्विड ऑक्सीजन खरीदी जा रही है। अब छह महीने बाद इन ठेकेदारों का चयन किया जा रहा है, जिसमें सिर्फ अस्पताल और प्रसूति वार्ड शामिल हैं। आश्चर्यजनक रुप से इसमें जंबो कोविड सेंटर शामिल नहीं हैं।
नवंबर 2020 में समाप्त हो गया अनुबंध
मेडिकल ऑक्सीजन और नाइट्रोजन ऑक्साइड की आपूर्ति का पिछला अनुबंध नवंबर 2020 में समाप्त हो गया था। उसके बाद बीएमसी ने अक्टूबर 2020 में निविदाएं आमंत्रित की थीं। उसके बाद इसे अंतिम रुप देने में बीएमसी को छह महीने लग गए। इस बीच एक ओर जहां ऑक्सीजन की कमी से कई मरीजों की मौत हो गई, वहीं कुछ उपनगरीय अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने के कारण वहां के मरीजों को जंबो कोविड सेंटर व अन्य अस्पतालों में शिफ्ट कर दिया गया। इस अवधि में अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया।
निविदा पर विचार करन में लगे 6 माह
केईएम, नायर, राजावाड़ी, कूपर और अन्य अस्पतालों तथा प्रसूति अस्पतालों के लिए तरल ऑक्सीजन और नाइट्रस ऑक्साइड के 5,000 सिलेंडर की आपूर्ति के लिए 23 अक्टूबर, 2020 को निविदा जारी की गई थी। ये टेंडर 21 दिसंबर, 2020 को खोले गए थे। उसकेलबाद फरवरी 2021 में निविदाओं को अंतिम रूप दिया गया और 8 मई को बातचीत के बाद निविदाओं को अंतिम रूप दिया गया। यानी जब ऑक्सीजन की जरूरत है तो भी प्रशासन को इस प्रक्रिया को पूरा करने में 7 महीने लग गए।
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31.51 करोड़ रुपये का ठेका
फिलहाल इनॉक्स एयर प्रोजेक्ट लिमिटेड और सतरामदास गैसेस प्राइवेट लिमिटेड ने प्रशासन द्वारा अंतिम रूप दी गई निविदाओं के लिए अर्हता प्राप्त की है। दोनों कंपनियों को 31.51 करोड़ रुपये के कार्य आवंटित किए गए हैं।
भाजपा ने बताया गंभीर मुद्दा
इस बारे में महानगरपालिका में भारतीय जनता पार्टी के गट नेता विनोद मिश्रा ने बताया कि ऑक्सीजन आज कोरोना के साथ ही अन्य मरीजों की सबसे बड़ी जरूरत है। अगर प्रशासन ऐसी जरूरी चीजों को खरीदते समय गंभीर नहीं है, तो यह दुर्भाग्य की बात है। लेकिन नवंबर के बाद से बीएमसी के पास कोई ठेकेदार नहीं है। आज भी बीएमसी पहले वाली कंपनियों से ही ऑक्सीजन ले रही है, लेकिन अगर ऐसे में कोई अनहोनी हो जाती है तो इन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन अब ठेका देने के बावजूद जंबो कोविड सेंटर इससे बाहर हो गए हैं, जबकि जंबो कोविड सेंटर में सबसे ज्यादा मरीज हैं और उन्हें अनुबंध में शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन कहा जा सकता है कि जनता भुगत रही है और नगरपालिका प्रशासन उन्हें भुगता रहा है।