प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट की बैठक समाप्त होने के बाद तीनों कृषि कानूनों को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय हुआ है। कैबिनेट ने इस कानून को रद्द करने के लिए इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की मंजूरी दे दी है। जिसके पश्चात अब इस कानून के निरस्त होने का मार्ग साफ हो गया है।
बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में से गरीबों के लिए भी अच्छी खबर मिली है। कोरोना संसर्ग काल में शुरू की गई गरीब कल्याण योजना का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ा दिया गया है। अब इसकी नई समय सीमा मार्च 2022 तक बढ़ गई है। इस बैठक में दूसरी बड़ी खबर केंद्रीय कृषि कानून को लेकर थी। जिन्हें संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
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तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने की दिशा में अब वैधानिक खानापूर्ति ही बची है। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने औपचारिक रूप से मान्यता भी दे दी है। इस बीच चर्चा उठने लगी है कि, किसान यूनियन अब भी आंदोलन कर रही हैं, इसका क्या होगा?
तब तक जारी रहेगा आंदोलन
प्रधानमंत्री की घोषणा के पश्चात अब केंद्रीय कैबिनेट ने भी औपचारिक रूप से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मंजूरी दे दी है। लेकिन किसान यूनियनों का आंदोलन अब भी चल रहा है। जब कैबिनेट में कृषि कानूनों को रद्द करने के निर्णय पर मुहर लग रह थी, उस समय संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत दिल्ली सीमा पर आंदोलनकारियों से मिल रहे थे। उन्होंने कहा है कि, तीनों कृषि कानून भले ही रद्द किये जाने का कदम सरकार ने उठाया है, लेकिन आंदोलन अभी समाप्त नहीं होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जब तक सरकार कानून नहीं बनाती किसान यूनियनों का आंदोलन रद्द नहीं होगा।