राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी देने के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम भारत में कानून बन गया। अब इसके कानून बन जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। हालांकि आरक्षण नई जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा। संसद के एक विशेष सत्र में, महिला आरक्षण विधेयक को इस महीने लोकसभा और राज्यसभा द्वारा इसे पारित किया गया, जिससे यह भारतीय संसद में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बन गई।
ओवैसी की पार्टी ने किया है आरक्षण का विरोध
केवल एआईएमआईएम ने महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करते हुए कहा था कि इससे केवल सवर्ण महिलाओं का उत्थान होगा क्योंकि मुस्लिम महिला प्रतिनिधियों के लिए कोई आरक्षण नहीं है। कांग्रेस ने भी ओबीसी आरक्षण की मांग की और संसद में पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद भी इसे लागू होने में लगने वाले लंबे समय पर सवाल उठाया।
तीन पड़ावों को पार करने के बाद ही मिलेगा लाभ
हालांकि अभी भी महिलाओं को इसके लाभ मिलने में समय लगेगा। इसका लाभ महिलाओं को मिलने के लिए अभी भी इसे तीन पड़ाव से गुजरना है। पहला तो इसे राज्यों की मंजूरी मिलनी चाहिए, उसके बाद जनगणना और लोकसभा तथा विधानसभा की सीटों का परिसीमन होने के बाद ही इसे लागू किया जा सकता है। इन पड़ावों को पार करने में लगभग तीन साल का समय और लग सकता है।
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