नित्यानंद भिसे
Maharashtra: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान शरद पवार ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह भी कहा कि वह दोबारा राज्यसभा नहीं लड़ेंगे। यानी अगले 2 साल में शरद पवार सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे, ये तय है। ऐसे समय में शरद पवार ने रणनीति बनाई कि सुप्रिया सुले, जयंत पाटील, रोहित पवार एनसीपी का नेतृत्व करेंगे, लेकिन विधानसभा चुनाव में अजीत पवार की सफलता के कारण शरद पवार की रणनीति भी विफल हो गई है। अब यह साफ हो गया है कि शरद पवार के बाद अजीत पवार ही एनसीपी के सर्वमान्य नेता होंगे।
लोकसभा चुनाव में पवार के नेतृत्व पर सवालिया निशान
विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने के बाद राज्य में सत्ता गठन में ट्विस्ट आ गया था। क्योंकि गठबंधन के तौर पर चुनाव लड़ने वाले उद्धव ठाकरे ने सीधे तौर पर दोनों कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बना ली। लेकिन दो साल के अंदर ही एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सरकार अवैध तरीके से बनी है। उन्होंने 40 विधायकों को तोड़ा और बीजेपी को समर्थन देकर महायुति की सरकार बनाई।
सरकार के साथ अजीत पवार
इसके एक साल बाद अजीत पवार 2 जुलाई 2023 को पार्टी के 40 विधायकों को तोड़कर बीजेपी-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए। राज्य की राजनीति में इस बदली हुई तस्वीर के साथ सभी पार्टियों ने लोकसभा चुनाव का सामना किया। एक तरफ शिव सेना (उबाठा), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस तो दूसरी तरफ बीजेपी, शिव सेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) समेत छह पार्टियों को लोकसभा का सामना करना पड़ा, लेकिन इसमें महायुति को भारी झटका लगा।
अजीत पवार को भारी नुकसान
अजीत पवार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से उन्हें सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली। इसलिए चुनाव आयोग ने पार्टी का सारा नेतृत्व अजीत पवार को सौंप दिया, पार्टी का सिंबल दे दिया, लेकिन अजीत पवार का नेतृत्व पार्टी, कार्यकर्ता को स्वीकार नहीं था। ये संदेश नतीजों से दे दिया गया। क्योंकि बारामती लोकसभा क्षेत्र से ही अजीत पवार ने अपनी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को मैदान में उतारा था। उस बारामती में सुनेत्रा पवार की हार हुई थी। इसी लोकसभा चुनाव में NCP (शरद पवार गुट) के 8 सांसद चुने गए थे। इससे यह संदेश गया कि जनता और कार्यकर्ताओं ने शरद पवार को एनसीपी का नेता मान लिया है।
विधानसभा चुनाव में अजीत पवार का जलवा
लोकसभा में खराब प्रदर्शन के बाद अजीत पवार के सामने पार्टी नेतृत्व को साबित करने की चुनौती थी और विधानसभा चुनाव 2024 में अजीत पवार ने इस चुनौती को स्वीकार किया। इस चुनाव में अजीत पवार ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 41 पर जीत हासिल की। जबकि एनसीपी (शरद पवार समूह) ने 86 सीटों पर चुनाव लड़ा और उनमें से केवल 10 पर जीत हासिल की। इसके अलावा, बारामती विधानसभा क्षेत्र में शरद पवार ने अजीत पवार के खिलाफ अपने पोते युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में अजीत पवार ने 1 लाख 899 वोटों से जीत हासिल की। इस तरह इस चुनाव ने यह संदेश दे दिया कि अजीत पवार ही एनसीपी के असली उत्तराधिकारी हैं।
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बगावत सफल
अजीत पवार की राजनीतिक महत्वाकांक्षा छिपी नहीं है, इसीलिए जब 2 मई 2023 को शरद पवार (अजित पवार) ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, तो कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में पार्टी के पहली पंक्ति के कई नेता और उपस्थित कार्यकर्ता शरद पवार से अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए कह रहे थे। लेकिन अजीत पवार चाहते थे कि शरद पवार रिटायर हो जाएं। अजीत पवार ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की विरासत उनकी अपनी होनी चाहिए। लेकिन शरद पवार ने अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा वापस ले लिया और तभी से अजीत पवार की बगावत शुरू हो गई। अजीत पवार (अजित पवार) ने पार्टी का नेता बनने की अपनी महत्वाकांक्षा भी पूरी कर ली। लेकिन इसे साबित करने के लिए अजीत पवार के सामने चुनाव में सफल होने की चुनौती थी, जिसे विधानसभा चुनाव 2024 में अजीत पवार ने सफलतापूर्वक अपनाया।