शरद पवार भुजबल को बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना से निकालकर कांग्रेस में ले गए। उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया। एनसीपी के गठन के बाद उन्हें पहला प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन तेलगी स्टांप घोटाले में उनके इस्तीफे के मुद्दे पर छगन भुजबल ने पवार की आलोचना की। भुजबल ने बीड में अजीत पवार गुट की पहली सभा को संबोधित करते हुए कहा, “मैंने स्टाम्प घोटाले में अब्दुल करीम तेलगी को गिरफ्तार किया। फिर भी पवार ने अचानक मुझे फोन किया और मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लिया। उस वक्त प्रफुल्ल पटेल पास ही बैठे थे। जी न्यूज कंपनी के सुभाष गोयल ने फोन किया. लेकिन पवार ने उनकी भी नहीं सुनी। मैंने इस्तीफा दे दिया। भले ही मेरा नाम सीबीआई की चार्जशीट में नहीं था, फिर भी पवार ने मेरी बात नहीं सुनी। दरअसल उस वक्त खुद पवार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। सदाशिवराव तिनैकर से लेकर खैरनार तक कई लोगों ने पवार पर आरोप लगाए थे, लेकिन ख़ुद पवार ने कभी इस्तीफ़ा नहीं दिया। मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि मेरा इस्तीफा लेना अन्याय था।
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शरद पवार अजीत पवार के खिलाफ नहीं उनके सहयोगियों के खिलाफ बोलते हैंः भुजबल
भुजबल ने कहा, “अजित पवार, जयंत पाटील, प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे को महाराष्ट्र की सत्ता तक का रास्ता खुद पवार ने दिखाया और आज खुद अलग हो गए। हमारे ही संसदीय क्षेत्र से हमारे खिलाफ कुछ बातें कही जाने लगीं। वे अजीत पवार के खिलाफ नहीं बल्कि हमारे जैसे सहयोगियों के खिलाफ बोलते हैं। उन्होंने येवला आकर मतदाताओं से माफी मांगी। लेकिन पवार साहब, आप कितने लोगों से माफी मांगेंगे? आपको 54 विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में जाकर माफी मांगनी होगी।” भुजबल ने शरद पवार को चुनौती दी। अजीत गुट की इस पहली सभा में छगन भुजबल, धनजंय मुंडे, हसन मुश्रीफ और प्रफुल पटेल जैसे नेता उपस्थित थे। भुजबल ने अजीत पवार को अपना नेता बताया। भउजबल ने कहा कि अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री के तौर पर मंजूरी दे दीजिए और झगड़ा सुलझा लीजिए, आप ही नेता हैं।”