Minimum Common Programme: नेपाल के सत्तारूढ़ नए गठबंधन ने भारतीय क्षेत्र लिपुलेख और लिंपियाधुरा को एक बार फिर अपना बताया है। गठबंधन ने इस मुद्दे को अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम(Minimum Common Programme) में भी शामिल किया है। समझा जा रहा है कि चीन के उकसावे में नेपाल ने यह बयानबाजी की है।
प्रधानमंत्री एवं सीपीएन (एमसी) के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ और सीपीएन (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली, माधव कुमार नेपाल, रवि लामिछाने और उपेंद्र यादव ने 19 मार्च को नए गठबंधन का न्यूनतम साझा कार्यक्रम जारी किया। प्रधानमंत्री के सरकारी आवास पर हुए कार्यक्रम में लिपुलेख और लिंपियाधुरा की जमीन को भारत से वापस लेने के संकल्प को दोहराया गया है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम में इसके लिए भारत से कूटनीतिक पहल करते हुए जमीन को वापस लेने की बात कही गई है।
प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहाः
प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि लिपुलेख और लिंपियाधुरा, कालापानी और सुस्ता की जमीन को वापस लेने के लिए भारत के साथ प्रभावकारी कूटनीतिक प्रयास किया जाएगा। प्रचंड ने कहा कि नेपाल की भौगोलिक अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए किसी भी तरह का कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
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पड़ोसी देशों से सम्मानजनक संबंध
न्यूनतम साझा कार्यक्रम में नेपाल की विदेश नीति को लेकर प्रचंड ने कहा कि पंचशील के सिद्धांत और असंलग्न विदेश नीति हमारी जड़ है। पड़ोसी देशों के साथ समान दूरी के संबंध के आधार पर सम्मानजनक रिश्ता रखने की बात कही गई है। गठबंधन के साझा कार्यक्रम में यह भी कहा गया है कि भारत के साथ हुए सभी संधि समझौते का पुनरावलोकन किया जाएगा। भारत के साथ हुए 1950 के संधि के साथ बाकी सभी संधि समझौते का पुनरावलोकन किया जाएगा और जरूरत पडने पर उसे बदला भी जाएगा।