Delhi शराब नीति घोटाले(Liquor policy scam) में लगे आरोपों की वजह से गिरफ्तार किए गए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) की याचिका पर 7 मई को सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court) में लंबी सुनवाई हुई। केजरीवाल की ओर से गिरफ्तारी को दी गई चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों अपनी-अपनी दलीलें रखीं, वहीं जजों ने भी कई सवाल किए। देश की सबसे बड़ी अदालत ने चुनाव को देखते हुए अरविंद केजरीवाल को अंतिम राहत देने पर भी विचार किया, हालांकि कोर्ट ने फिलहाल कोई फैसला नहीं दिया है।
उपराज्यपाल ने गृह मंत्रालय से की सिफारिश
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। उन पर का शिकंजा कस गया है। केजरीवाल पर आरोप है कि आतंकी देवेंद्र सिंह भुल्लर के रिहाई और खालिस्तान समर्थकों की भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए 134 करोड़ रुपए का चंदा लिया है। 1993 में भारतीय युवा कांग्रेस कार्यालय के बाहर हुए कार बम धमाके के दोषी आतंकी देवेंद्र सिंह भुल्लर को छुड़वाने के लिए यह पैसा लिया गया था। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने विश्व हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव आशु मोंगिया की ओर से उनसे की गई शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है।
क्यों की एनआईए से जांच की सिफारिश?
शिकायतकर्ता ने एक वीडियो सामग्री का हवाला देते हुए पत्र के साथ सबूत के तौर पर पेन ड्राइव में गृह मंत्रालय को भेजा है। इसमें खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार को वर्ष 2014 से 2022 के दौरान खालिस्तान समर्थक समूह से 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फंडिंग की थी। उपराज्यपाल ने केजरीवाल द्वारा जनवरी 2014 में लिखे गए एक पत्र का भी हवाला दिया है, जो उन्होंने भुल्लर की रिहाई के लिए लिखित आश्वासन की मांग को लेकर जंतर मंतर पर अनशन पर बैठे इकबाल सिंह को लिखी थी। इसमें केजरीवाल ने इकबाल सिंह को लिखा है कि आप सरकार पहले ही राष्ट्रपति को भुल्लर की रिहाई की सिफारिश कर चुकी है।
आम आदमी पार्टी ने बताया षड्यंत्र
उपराज्यपाल के इस कदम को आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक बड़ी साजिश बताई है। आम आदमी पार्टी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह सब किया जा रहा है।