स्वातंत्र्यवीर सावरकर नहीं, नेहरु थे असली माफीवीर! भाजपा नेता ने साधा कांग्रेस पर निशाना

एक वीडियो जारी कर भाजपा विधायक भातखलकर ने कहा है कि राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं को थोड़ा इतिहास की जानकारी देने की जरूरत है।

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी अक्सर स्वातंत्र्यवीर सावरकर को लेकर अपमानजनक बयान देते रहते हैं। कांग्रेस के इंस्टाग्राम पेज पर वीर सावरकर के अपमान के बाद एक बार फिर उनकी आलोचना हो रही है। भारतीय जनता पार्टी विधायक अतुल भातखलकर ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा है कि सावरकर नहीं, नेहरू ही असली माफीवीर थे।

‘राहुल गांधी का पढ़ने और सोचने से कोई लेना-देना नहीं’
एक वीडियो जारी कर भातखलकर ने कहा है कि राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं को थोड़ा इतिहास की जानकारी देने की जरूरत है। वीर सावरकर ने अपनी पुस्तक ‘काले पाणी'( मराठी) में अंडमान में गुजारे कठिन जीवन के बारे में जानकारी दी है। 8 वर्षों तक अध्ययन करने के बाद विक्रम संपत ने वीर सावरकर पर दो पुस्तकें लिखी हैं। लेकिन राहुल गांधी और उनके साथियों का पढ़ने तथा सोचने से कोई लेना-देना नहीं है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर के माफी मांगने के कांग्रेस के बयान को लेकर भाजपा विधायक ने कांग्रेस की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा है,’असली माफी मांगने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हैं। सावरकर ने अपना अधिकांश जीवन अंडमान में बिताया है। आज भी उस सेल में जाने के बाद हमारी आंखों में आंसू छलक आते हैं। उस समय सावरकर को किस तरह की पीड़ा से गुजरना पड़ा होगा, ये अनुभव किया जा सकता है।’

‘नेहरू इसलिए थे माफीवीर
भातखलकर का कहना है, ‘नेहरू 1923 में पंजाब में गाभा संस्थान के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने गए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। जब नेहरू ने वहां का कारागार देखा तो उन्होंने कहा-यह कैसी जेल है? यहां की दीवारें ढह रही हैं, कीचड़, मच्छर हैं। मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं जिस जेल में रहता था, वहां मुझे अच्छा खाना मिलता था और मैं जो चाहता था करता था, खेलता था। यहां कुछ भी नहीं है।’

पिता ने की अपील
पंडित नेहरु के पिता मोतीलाल नेहरू ने तत्कालीन वायसराय से अपील की, ‘मेरा बेटा उच्च शिक्षित है। हम आपकी शर्तों से सहमत हैं, लेकिन जवाहर को छोड़ दें।’ तब वायसराय ने हस्तक्षेप किया। नेहरु ने माफी मांगी, बांड भरा। फिर दो सप्ताह के भीतर उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया और वे सकुशल घर चले गए। नेहरू के साथ दो अन्य साथी भी थे, वे उसी जेल में रह गए।

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