NRC: स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष अध्यक्ष और वीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बांग्लादेशी, पाकिस्तानी एवं अन्य घुसपैठियों के कारण देश एवं राज्य की सुरक्षा एवं अर्थव्यवस्था खतरे में है तथा स्थानीय लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है। महाराष्ट्र में करीब एक करोड़ और मुंबई में 40 लाख से ज्यादा रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं और देश में इनकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है। ये घुसपैठिए विभिन्न अपराधों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं और इसका असर सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, रोजगार पर भी पड़ा है।
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राजेंद्र निंभोरकर, रणजीत सावरकर, कर्नल (सेवानिवृत्त) नरेश गोयल सुदर्शन वाहिनी के संपादक सुरेश चव्हाणके के साथ पूर्व सेना, नौसेना, वायु सेना, सिविल सेवा बल के अधिकारियों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य लोगों ने उन्हें बाहर निकालने का अभियान शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र की सिविल सोसायटी की ओर से जनता एनआरसी आंदोलन शुरू किया गया है और इसका समर्थन करने के लिए मोबाइल नंबर 9209 204 204 पर मिस्ड कॉल देने का अनुरोध किया गया है।
मूल निवासियों की बढ़ रही है समस्या
रणजीत सावरकर, राजेंद्र निंभोरकर और सुरेश चव्हाणके ने आज गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 को मुंबई के यशवंतराव चव्हाण केंद्र में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस अवसर पर सावरकर ने कहा, ‘पिछले 30-35 वर्षों में बढ़ई, टीवी मरम्मत करने वाले, ओला-उबर टैक्सी ड्राइवर, आम, सब्जी बेचने वाले, मछली बेचने वालों के व्यवसाय पर घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है और स्थानीय पेशेवरों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है।’ शायद 15-20 साल बाद इन घुसपैठियों का बहुमत होगा और उनकी सरकार भी। उन्होंने इस खतरे से सरकार को सावधान किया।
सरकार पर बनाया होगा दबावः रणजीत सावरकर
सावरकर ने बताया, “सरकारी मशीनरी घुसपैठ रोकने में अप्रभावी है और यह लोगों की भी विफलता है।” उन्होंने आगे कहा, “यदि लोग निर्णय लेते हैं, तो वे सरकार पर दबाव डालकर कदम उठाने के लिए मजबूर कर सकते हैं।”
बांग्लादेश से घुसपैठ आसान
निंभोरकर ने कहा कि देश की सीमा से लगे चार देशों में सबसे लंबी सीमा बांग्लादेश के साथ 4,198 किलोमीटर है और 197 नदियां जुड़ी हुई हैं। इससे घुसपैठ आसान हो जाती है। इन घुसपैठों को रोकने के लिए ‘लक्ष्मी दर्शन'( रिश्वत) के बिना सीमा सुरक्षा की जानी चाहिए।”
एक हजार से ज्यादा एफआईआर
सुरेश चव्हाणके ने राज्य सरकार से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) कानून लागू करने की पुरजोर मांग की, “राज्य गृह विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ विभिन्न पुलिस स्टेशनों में एक हजार से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। हाल ही में उल्हासनगर में कई सालों से रह रही एक बांग्लादेशी महिला को उसके परिवार सहित गिरफ्तार किया गया था। हमें बताया गया है कि असम में रहने वाले 3 लाख बांग्लादेशी घुसपैठिए वहां की सरकार की सख्त कार्रवाई के डर से राज्य से बाहर भाग गए हैं और महाराष्ट्र राज्य में आ गए हैं।” चव्हाणके ने कहा कि हम मांग करते हैं कि अनधिकृत घुसपैठिए महाराष्ट्र छोड़ दें।
जनता एनआरसी टीम तैयार
चव्हाणके ने आगे कहा, “हर जिले में जनता एनआरसी टीमों का गठन किया गया है और इस उद्देश्य के लिए कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। क्या आपके पड़ोस में घुसपैठिए हैं, जो नागरिकों को परेशान कर रहे हैं? शहर के वार्डों और ग्रामीण क्षेत्रों की ग्राम पंचायतों से भी संपर्क कर पता लगाया जाएगा कि उनके क्षेत्र में घुसपैठिए तो नहीं हैं। इस अभियान के लिए अब तक 18,500 ग्राम पंचायतों और 44 हजार गांवों का दौरा किया जा चुका है। इसमें धार्मिक, सामाजिक आदि विभिन्न क्षेत्रों के लोग काम कर रहे हैं। इस मुद्दे को राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्रहित के नजरिये से देखा जाना चाहिए। बांग्लादेशी घुसपैठिए यहां बंगाली बनकर रहते हैं। कोलकाता से 100 नागरिक उनकी असली पहचान जानने के लिए महाराष्ट्र आएंगे और वे इन घुसपैठियों को उनकी भाषा से पहचानेंगे तथा उन्हें स्थानीय पुलिस को सौंप देंगे। यह आंदोलन पूरी तरह से अराजनीतिक होगा और हम कानून नहीं तोड़ेंगे बल्कि गुरिल्ला युद्ध के साथ इस आंदोलन को चलाएंगे। चव्हाणके ने कहा, ”आंदोलन से घुसपैठ रुकेगी और राज्य घुसपैठियों से मुक्त हो जाएगा।” उन्होंने इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए 9209 204 204 नंबर पर मिस्ड कॉल देने की भी अपील की है। चव्हाणके ने यह भी कहा कि आंदोलन के बारे में अधिक जानकारी इन वेबसाइट www.JanataNRC.org से ली जा सकती है।