भाजपा की वो बात लगी बुरी, सीएम केजरीवाल न्यायालय पहुंचे

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर 30 मार्च को कथित रूप से की गई तोड़फोड़ का मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है।

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पिछले 30 मार्च को हुई तोड़फोड़ के मामले में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। आम आदमी पार्टी की ओर से सौरभ भारद्वाज ने इस मामले की एसआइटी से जांच की मांग की है।

फिलहाल मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं का यह गुस्सा केजरीवाल द्वारा द कश्मीर फाइल फिल्म पर दिए बयान को लेकर उतरा है।

आधिकारिक आवास पर हमला
वकील भरत गुप्ता के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि पिछले 30 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से तोड़फोड़ की गई। प्रदर्शन की आड़ में इस घटना को अंजाम दिया गया। याचिका में कहा गया है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने डंडों से सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए और उस गेट पर चढ़ गए जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस घटना में दिल्ली पुलिस की भी भूमिका संदेहास्पद है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को जेड प्लस सुरक्षा होने के बावजूद अगर उनके आवास पर इस तरह की तोड़फोड़ की जाती है तो ये दिल्ली पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

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याचिका में मांग
याचिका में कहा गया है कि सबको प्रदर्शन के जरिए विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन प्रदर्शन में हिंसा करने का अधिकार किसी को नहीं है। याचिका में रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआइटी गठित करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि एसआईटी की जांच जल्द से जल्द शुरू हो ताकि सुबूत से छेड़छाड़ ना हो सके। याचिका में घटना के की सारे फोटो भी लगाए गए हैं।

सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने की मांग
याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस को दिशानिर्देश जारी किए जाएं कि घटना से जुड़े साक्ष्य और सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखे जाएं। याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस संबंधित घटना की केस डायरी कोर्ट के समक्ष पेश करे।

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