One Nation One Election: मोदी कैबिनेट ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की रिपोर्ट को दी मंजूरी, इस सत्र में होगा पेश

एक साथ चुनाव कराने पर उच्च स्तरीय समिति ने मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी विस्तृत 18,626 पृष्ठों की रिपोर्ट प्रस्तुत की।

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One Nation One Election: सूत्रों ने बताया कि मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ (One Nation One Election) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य लोकसभा (Lok Sabha) और राज्य विधानसभाओं (State Assemblies) के चुनावों को एक ही समय पर कराना है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति (High Level Committee) की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) के समक्ष रखी गई।

एक साथ चुनाव कराने पर उच्च स्तरीय समिति ने मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी विस्तृत 18,626 पृष्ठों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उल्लेखनीय है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति ने राजनीतिक और सामाजिक स्पेक्ट्रम के विभिन्न हितधारकों से दृष्टिकोण एकत्र करने के लिए व्यापक परामर्श किया।

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उच्च स्तरीय समिति ने मार्च में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की
रिपोर्ट के अनुसार, 47 से अधिक राजनीतिक दलों ने अपने विचार साझा किए, जिनमें से 32 ने एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा का समर्थन किया। इसके अलावा, समाचार पत्रों में प्रकाशित एक सार्वजनिक नोटिस पर नागरिकों से 21,558 प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुईं, जिनमें से 80% प्रस्ताव के पक्ष में थीं। भारत के चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, प्रमुख उच्च न्यायालयों के बारह पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और चार पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों सहित कानूनी विशेषज्ञों को भी अपनी अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

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चुनाव आयोग के विचारों पर भी विचार
चर्चाओं में भारत के चुनाव आयोग के विचारों पर भी विचार किया गया। इसके अलावा, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) जैसे शीर्ष व्यापारिक संगठनों के साथ-साथ प्रमुख अर्थशास्त्रियों से भी अतुल्यकालिक चुनावों के आर्थिक प्रभावों की जांच करने के लिए परामर्श किया गया। इन निकायों ने इस बात पर जोर दिया कि अलग-अलग समय पर होने वाले चुनावों से मुद्रास्फीति संबंधी दबाव, धीमी आर्थिक वृद्धि और सार्वजनिक व्यय तथा सामाजिक सद्भाव में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

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