28 नवंबर को महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार का एक साल पूरा हो गया। इस एक वर्ष में सरकार के कामकाज पर नजर डालने पर पता चलता है कि इस सरकार ने फडणवीस सरकार के कार्यकाल में लिए गए कई अहम निर्णयों को रद्द या स्थगित करने में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखाई।
अपने कार्यकाल में शिवसेना के साथ युति की सरकार चला रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कई अहम निर्णय लिए थे। लेकिन 2019 में कराए गए विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों में ठन गई और आखिरकार युति टूट गई। शिवसेना और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर लड़ाई इतनी बढ़ गई कि शिवसेना ने इसे नाक का सवाल बना लिया।
सीएम की कुर्सी के लिए ऐतिहासिक गठबंधन
बीजेपी-शिवसेना की युति टूटने के बाद महाराष्ट्र की सियायत में ऐतिहासिक नया समीकरण बना। शिवसेना ने सत्ता के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस जैसी विपरीत विचारधारा की पार्टियों से हाथ मिला लिया। अब तक जिसे लोग महाराष्ट्र की सियायत में न भूतो न भविष्यति मानते थे, वह ऐतिहासिक समीकरण बना और शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए। मुख्यमंत्री के पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी में शुरू हुई जंग अब भी जारी है।
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फडणवीस सरकार के कई ड्रीम प्रोजेक्ट स्थगित
शिवसेना का बीजेपी के साथ शुरू हुई नाराजगी अभी तक दूर नहीं हुई है। इस बीच महाविकास आघाड़ी ने फडणवीस सरकार के कार्यकाल में लिए गए कई फैसलों को उल्टा कर लटका दिया है।
मेट्रो कारशेड का स्थानांतरण
मेट्रो 3 कारशेड को लेकर शिवसेना-बीजेपी में रस्साकशी तो विधानसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गई थी। चुनाव में भी यह मुद्दा गरमाया रहा था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जहां आरे कॉलोनी में कारशेड निर्माण पर अड़े थे, वहीं शिवसेना इसके विरोध में खड़ी थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने सबसे पहला काम गोरेगांव आरे कॉलोनी के कारशेड के प्रोजेक्ट पर रोक लगाने का किया। बाद में उन्होंने इस प्रोजेक्ट को कांजुरमार्ग शिफ्ट करने का ऐलान किया। यह घोषणा करते हुए उन्होंने यह भी दावा किया कि कारशेड के इस स्थानांतरण में एक भी पैसा ज्यादा खर्च नहीं होगा। फिलहाल नाशिक के फडणवीस सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को भी स्थगित किए जाने के बारे में चर्चा गरम है।
आवास निर्माण की मंजूरी का अधिकार फिर से ग्राम पंचायत को सौंपा
नये घर बनाने की मंजूरी का अधिकार एक बार फिर ग्राम पंचायत को दे दिया गया। फडणवीस के कार्यकाल में नया घर बनाने के लिए ग्राम पंचायत के साथ ही इसके लिए जिला परिषद से भी मंजूरी लेना अनिवार्य था। लेकिन अब इस निर्णय को सरकार ने बदल दिया है।
हायपरलूप प्रोजक्ट स्थगित
फडणवीस सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल हायपरलूप प्रोजेक्ट को उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा रेड सिग्नल दिखाने के बाद यह भी अधर में लटक गया है। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, नगरविकास मंत्री और प्रशासकीय अधिकारियों की बैठक में सर्वसमम्मति से यह निर्णय लिया गया कि राज्य को अभी हायपरलूप की जरुरत नहीं है।
जलयुक्त शिवार योजना की जांच का निर्णय
फडणवीस सरकार के एक और ड्रीम प्रोजेक्ट जलयुक्त शिवार योजना की जांच कराने का निर्णय भी वर्तमान महाविकास आघाड़ी सरकार ने लिया है। यह जांच एसआईटी द्वारा कराई जाएगी। इस योजना का शुभारंभ फडणवीस सरकार ने बहुत ही धूमधाम से किया था।
शिक्षकों के तबादले का अधिकार एक बार फिर जिला परिषद के पास
शिक्षकों के तबादले में धांधली को रोकने के लिए फडणवीस सरकार ने एक कदम उठाया था। वास्तव में तत्कालीन ग्राम विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने ऑनलाइन तबादले की नीति बनाई थी, लेकिन वर्तमान महाविकास आघाड़ी सरकार ने उस नीति को बदलकर फिर से यह अधिकार जिला परिषद को सौंप दिया है।
बारामती को पानी देने पर लगी रोक हटाई
पडणवीस सरकार ने निरा देवघर और गुंडवणी डैम का बारामती जानेवाले पानी पर रोक लगा दी थी। इस सरकार ने उस निर्णय को रद्द कर दिया है।
पंकजा मुंडे ने की आलोचना
बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने कहा है कि बीजेपी सरकार द्वारा जनहित में लिए गए निर्णयों को स्थगित करनाे वाली ये महाविकास आघाड़ी सरकार नहीं, योजनाओं को स्थगित करनेवाली सरकार है। इस सरकार को स्थगित कर हम फिर से सत्ता में आएंगे।