29 नवंबर को शीतकालीन सत्र में राज्यसभा के 12 विपक्षी सदस्यों को सदन के इस सत्र की पूरी कार्यवाही के लिए निलंबित किए जाने का मुद्दा गरमाता जा रहा है। उन पर यह कार्रवाई 11 अगस्त 2021 से प्रारंभ हुए मानसून सत्र के दौरान अनुशासन तोड़ने और अनुचित व्यवहार करने को लेकर किया गया है। निलंबित सांसदों में शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस पार्टी की डोला सेन भी शामिल हैं। इसे लेकर विपक्षी नेताओं ने सरकार के खिलाफ आक्रमक रुख अपनाने के संकेत दिए हैं। उन्होंने इस कार्रवाई को अलोकतांत्रिक और अनुचित बताते हुए कहा है कि यह उच्च सदन के सभी नियमों का उल्लंघन है।विपक्ष द्वारा जारी बयान में कहा गया है, “विपक्षी दलों के नेता एकजुट होकर 12 सदस्यों के अनुचित और अलोकतांत्रिक निलंबन की निंदा करते हैं, यह राज्य सभा की प्रकिया के सभी नियमों का उल्लंघन है।
विपक्ष ने जारी किया संयुक्त बयान
संयुक्त बयान में यह कहा गया है, “पिछले सत्र में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर विपक्षी सदस्यों को लेकर सरकार द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव अभूतपूर्व है। यह राज्य सभा की सभी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ ही कांग्रेस, द्रमुक, सपा, राकांपा, शिवसेना, राजद, माकपा, आईयूएमएमल, जेडीएस, एडीएमके, टीआरएस के सदस्य शामिल हैं।
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30 नवंबर को बैठक
विपक्ष ने सरकार के इस निर्णय का विरोध करने का ऐलान किया है। इसके लिए विपक्षी दलों ने 30 नवंबर को बैठक बुलाई है। कांग्रेस सांसद छाया वर्मा, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और टीएमसी की डोला सेन समेत राज्यसभा के 12 सदस्यों को पिछले सत्र में उनके कदाचार और अनियंत्रित व्यवहार के लिए इस सत्र के बाकी दिनों के लिए 29 नवंबर को निलंबित कर दिया गया। इनमें कांग्रेस के 6, टीएमसी और शिवसेना के दो-दो तथा सीपीएम व सीपीआई के एक-एक सदस्य शामिल हैं।