जब से महाराष्ट्र में शिंदे गुट की सरकार आई है, तब से प्रदेश की राजनीति में तरह-तरह के मामले उजागर हो रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड पर पिछले 72 घंटे में दो मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें एक मामला छेड़छाड़ का है। अब राकांपा उनके बचाव में मैदान में उतरी है। प्रदेश के नेता प्रति पक्ष अजीत पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि महिला ने किसी के बहकाने पर छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया है। यह सब षड्यंत्र के तहत किया गया है। पवार ने कहा कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी सच्चाई सामने आएगी।
शर्म करो सरकार!
अजित पवार ने जितेंद्र आव्हाड से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जितेंद्र आह्वाड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उस क्लिप को देखने के बाद लगता नहीं है कि महिला के साथ किसी तरह की छेड़खानी हुई है। वहीं मुख्यमंत्री गाड़ी में बैठे हैं, और उनसे 10 फीट की दूरी पर जितेंद्र आव्हाड भीड़ में फंसे हैं। यह शर्म की बात है। सरकारें आती हैं और जाती हैं, आप हमेशा के लिए सत्ता में नहीं हैं। वे तब तक ही उस पद पर रह सकते हैं, जब तक उन्हें 145 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। दरअसल मुख्यमंत्री खुद कहें कि मैं खुद उस जगह पर था, वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ। पवार ने यह भी कहा कि कुछ दिन पहले मुंब्रा इलाके में छठ पूजा का आयोजन किया गया था, वहां मारपीट हुई थी, उस समय मारपीट की शिकायत करने वाली महिला वीडियो में कार्यक्रम के दौरान हंसती हुई दिख रही है।
पहले ऐसा कभी नहीं हुआः अजित पवार
अजीत पवार ने कहा कि विपक्ष के नेता के रूप में, मुझे तत्काल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले विवाना मॉल में मारपीट हुई थी। जिस व्यक्ति के साथ मारपीट की गई थी, उसने कहा था कि जितेंद्र आव्हाड के कारण वो बच गया। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री इस बात पर ध्यान दें, हम कानून बनाते हैं ताकि किसी के साथ अन्याय न हो, हम देखें कि किसी निर्दोष व्यक्ति के साथ गलत न हो। पुलिस दबाव में काम कर रही है। हम 15 साल सरकार में थे, उस समय जयंत पाटील, छगन भुजबल, आरआर पाटील गृह मंत्री थे। हमने उस समय ऐसी राजनीति नहीं की थी। इस खाते का दुरुपयोग नहीं किया गया था। आव्हाड के मामले में छेड़खानी नहीं होने पर भी उन्हें परेशानी में डालने की कोशिश की जा रही है। अंबादास दानवे और हम आव्हाड के साथ हैं। अगर हमें अन्याय से लड़ना है तो मतदाताओं का विश्वास तोड़े बिना लड़ें। संविधान जीवित रहना चाहिए। अगर छेड़छाड़ का मामला नियमों के आधार पर नहीं दर्ज किया जाता है तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है। सभी को सावधानी से व्यवहार करना चाहिए। पुलिस के पास दबाव से डरने की कोई वजह नहीं है। जितेंद्र आव्हाड को इस्तीफा देने का फैसला वापस लेना चाहिए।