महाराष्ट्र: गृहमंत्री का वो दावा पड़ा भारी? चौबीस घंटे में लगे तेईस आरोप…

गृह मंत्री और पुलिस विभाग के बीच सामंजस्य ही राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को स्पष्ट करता है। लेकिन एक के बाद एक घटनाओं से घिरी महाराष्ट्र सरकार पर अब पूर्व पुलिस आयुक्त ने ही लेट बम फोड़ दिया है। हालांकि, यह लेटर बम ईमेल द्वारा भेजा गया है, जिसमें परमबीर सिंह के हस्ताक्षर नहीं है।

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महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर बड़ा आरोप लगा है। यह आरोप ठीक चौबीस घंटे बाद लगा है। उन्होंने एक टीवी साक्षात्कार में डंके की चोट पर एक दावा किया था। इस दावे के बाद ही अनिल देशमुख पर लेटर बम पड़ा है।

मंत्री जी क्या बोल गए?
अनिल देशमुख ने लोकमत को दिये गए साक्षात्कार में दावा किया था कि, बत्तीस वर्ष के राजनीतिक जीवन में एक दाग नहीं लगा है। उन्होंने मुंबई पुलिस के तत्कालीन आयुक्त परमबीर सिंह पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होने कई निर्णय आउट ऑफ वे जाकर लिये थे।

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चौबीस घंटे में तेईस आरोप
पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने एक पत्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत कोश्यारी को लिखा है। जानते हैं उन तेईस पॉइंट के मुख्य आरोप…

  • मेरा मानना है कि मेरे स्थानांतरण का जो कारण सरकार ने मेरी फाइल में नोट किया है वो ये है कि इससे एंटीलिया घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो पाए।
  • गृहमंत्री अनिल देशमुख ने एक साक्षात्कार में कहा था कि (1) मेरे कार्यालय की ओर से एंटीलिया मामले की जांच में गंभीर गलतियां हुई हैं। (2) मेरी खामियां गंभीर और माफ करने योग्य नहीं हैं (3) मेरा स्थानांतरण प्रशासनिक आधार पर नहीं है।
  • गृह मंत्री के गलत तौर तरीकों को मैंने आपको (मुख्यमंत्री) उस समय बताया था, जब मैं वर्षा निवास स्थान पर आया था। यही जानकारी मैंने उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के संज्ञान में भी लाया था। मैंने उस दौरान यह देखा कि इसकी जानकारी पहले से ही कुछ मंत्रियों को थी।
  • सचिन वाझे को गृहमंत्री ने अपने सरकारी निवास ज्ञानेश्वर में कई बार बुलाया था। इसमें उन्होंने फंड कलेक्शन में सहायता करने को कहा था। फरवरी के मध्य में और उसके बाद माननीय मंत्री ने सचिन वाझे को बुलाया था। उस समय मंत्री के निजी सहायक भी मौजूद थे। मंत्री जी ने सचिन वाझे के सामने 100 करोड़ रुपए प्रति माह जमा करने का लक्ष्य रखा था। उस समय सम्माननीय मंत्री ने सचिन वाझे को बताया था कि मुंबई में 1750 बार, रेस्टारेंट और अन्य संस्थान हैं। यदि सभी से 2-3 लाख रुपए जमा किये जाते हैं तो प्रति माह 40-50 करोड़ रुपए जमा कर सकते हैं। इसके अलावा की राशि अन्य श्रोतों से जमा की जा सकती है।
  • श्री वाझे उसी दिन मेरे कार्यालय में आए थे और मुझे इसकी पूरी जानकारी दी थी। मुझे इससे झटका लगा था और मैं यही सोच रहा था कि इससे कैसे निपटा जाए।
  • इसके कुछ दिनों बाद समाज सेवा विभाग के एसीपी को सम्माननीय मंत्री ने बुलाया था और शहर के हुक्का पार्लर के विषय में चर्चा की थी। इसके दो दिनों बाद एसीपी और डीसीपी को मंत्री के सरकारी निवास पर फिर बुलाया गया था। इसमें मंत्री के स्वीय सहायक ने बताया था कि सम्माननीय मंत्री 40-50 करोड़ रुपए का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। जो 1,750 बार, रेस्टारेंट, संस्थानों से संभव है। मुझे ये जानकारी एसीपी ने दी थी।
  • एसीपी द्वारा मुझे बताया गया था कि यह बैठक 4 मार्च को हुई थी। इसके बारे में अपने आपको अपडेट करने के लिए मैंने एसीपी पाटील को संदेश भेजकर 16 मार्च को री-कन्फर्म किया। इसकी विस्तृत जानकारी 16 मार्च और 19 मार्च 2021 के संदेशों के रूप में मैं यहां पेश कर रहा हूं।
  • सम्माननीय गृह मंत्री मेरे अधिनस्थ अधिकारियों को बुलाते थे और सीधे आदेश देते थे। इसमें मेरे अधिकारों के सीधे बाइपास किया जाता था।
  • मोहन डेलकर के प्रकरण में आत्महत्या का मामला दर्ज किया गया था। जबकि माननीय मंत्री की इच्छा थी कि इसमें आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज किया जाए।
  • मैं अपने पुलिस दल की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। लेकिन, घटनाएं और हस्तक्षेप के कारण जो गलत हुआ उसकी जिम्मेदारी कहीं और है।

मुख्यमंत्री कार्यालय की सफाई
गृह मंत्री पर लगे इन आरोपों के बीच मुख्यमंत्री कार्यालय से एक स्पष्टीकरण भी जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि एक पत्र [email protected] से प्रेषित किया गया है। लेकिन इस पत्र में परमबीर सिंह का कोई हस्ताक्षर नहीं है। इसलिए आज प्राप्त हुए ईमेल की जांच करना आवश्यक है।

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