Parliament: राज्यसभा के न्यायपालिका से जुड़े मुद्दों पर चर्चा? सभापति ने उठाया यह कदम

राज्यसभा के सभापति ने आज सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कहा कि मैंने विपक्ष के नेता द्वारा सुझाए गए और सदन के नेता द्वारा सहमत होने पर आज शाम 4.30 बजे फ्लोर लीडर्स के साथ बैठक तय की है।

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Photo : Social Media

Parliament: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने आज शाम को 4.30 बजे विभिन्न दलों के फ्लोर लीडर्स (Floor Leaders) की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इसमें यह तय किया जाएगा कि दिल्ली में एक न्यायाधीश के आवास से कथित तौर पर नकदी मिलने के मामले (Case of cash recovery) पर सदन को क्या कदम उठाना चाहिए। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में कई सांसद सदन में इस पर चर्चा की मांग कर चुके हैं।

राज्यसभा के सभापति ने आज सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कहा कि मैंने विपक्ष के नेता द्वारा सुझाए गए और सदन के नेता द्वारा सहमत होने पर आज शाम 4.30 बजे फ्लोर लीडर्स के साथ बैठक तय की है।

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जगदीप धनखड़ से अनुरोध
उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि हमारी बातचीत बहुत ही उपयोगी होगी और हम कोई रास्ता निकालेंगे, क्योंकि कानून और न्यायपालिका बेहतर तरीके से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि वह “राज्य की कार्रवाई पर न्यायिक आदेशों द्वारा उत्पन्न कुछ बाधाओं” पर चर्चा करेंगे। राज्यसभा में कांग्रेस सांसद एवं उपनेता विपक्ष प्रमोद तिवारी ने सभापति जगदीप धनखड़ से अनुरोध किया कि न्याय होना ही नहीं चाहिए बल्कि यह दिखना भी चाहिए कि न्याय हो रहा है।

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अनुच्छेद 111
इस पर सभापति ने कहा कि इस सदन ने गरिमा को ध्यान में रखते हुए, गरिमापूर्ण आचरण का प्रदर्शन करते हुए, 2015 में सर्वसम्मति से एक कानूनी व्यवस्था बनाई और संसद से एक अनुपस्थिति के साथ सर्वसम्मति से जो संवैधानिक संरचना बनी, उसे राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए, क्योंकि इस पर राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 111 के तहत अपने हस्ताक्षर किए। उन्होंने संसदीय निर्णय को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अब हम सभी के लिए इसे दोहराने का उपयुक्त अवसर है, क्योंकि यह संसद द्वारा समर्थित एक दूरदर्शी कदम था। उन्होंने कहा कि कल्पना करें कि अगर ऐसा हुआ होता, तो चीजें अलग होतीं।

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राज्य की कार्रवाई
सभापति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास उपलब्ध पूरी सामग्री आम लोगों के साथ साझा की गई है। जब हम फ्लोर लीडर्स से मिलेंगे तो राज्य की कार्रवाई पर न्यायिक आदेशों से उत्पन्न कुछ बाधाओं पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला न्यायिक चिंताओं से परे है और संसद की संप्रभुता, सर्वोच्चता और प्रासंगिकता को प्रभावित करता है।

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