एक दिन पहले ही खत्म हुआ शीतकालीन सत्र! इन मुद्दों पर विपक्ष रहा आक्रामक

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 राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही 22 दिसंबर को तय तिथियों से पूर्व अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।

22 दिसंबर की सुबह जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, सभापति वेंकैया नायडू ने एक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उसके बाद विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक समाचार पत्र की खबर का हवाला देते हुए अयोध्या से संबंधित एक मुद्दे को उठाने का प्रयास किया, लेकिन नायडू ने इसके लिए उन्हें अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को उठाने से पहले उन्हें नोटिस देना चाहिए था।

हंगामेदार रहा सत्र
यह सत्र किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी की घटना पर गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग और राज्यसभा में 12 सदस्यों के निलंबन के चलते हंगामेदार बना रहा। विपक्ष ने इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की।

ये विधेयक पारित
इसी सत्र में सरकार ने किसानों की मांग मानते हुए कृषि कानूनों को निरस्त करने से जुड़ा विधेयक भी पारित कराया। विपक्ष का आरोप रहा कि सरकार ने इन कानूनों को पारित करवाते समय और अब उन्हें निरस्त करते समय चर्चा नहीं कराई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि इस सत्र में महत्वपूर्ण वित्तीय और विधायी कार्य निपटाए गए और इस दौरान 12 सरकारी विधेयक पेश किए गए जबकि 9 विधेयक पारित किए गए।

कार्य निष्पादन 82 प्रतिशत रहा
लोकसभा में इस दौरान 18 बैठक हुईं और सदन का कार्य निष्पादन 82 प्रतिशत रहा। वहीं व्यवधान के कारण 18 घंटे 48 मिनट समय बेकार हो गए। सत्र 29 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलनेवाला था, लेकिन निर्धारित समय से एक दिन पहले ही इसकी कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

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