Parliament Winter Session: प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 14 दिसंबर (शनिवार) को भारतीय संविधान (Indian Constitution) की 75वीं वर्षगांठ (75th Anniversary) के अवसर पर लोकसभा (Lok Sabha) में एक महत्वपूर्ण भाषण दिया। प्रधानमंत्री ने भारत की लोकतांत्रिक यात्रा (Democratic Journey) को आकार देने में संविधान के गहन महत्व पर प्रकाश डाला, इसकी असाधारण भूमिका और दुनिया भर के सभी लोकतंत्र-प्रेमी लोगों के लिए इसकी प्रासंगिकता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने 75वीं वर्षगांठ को न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए अत्यंत गौरव का क्षण बताते हुए कहा कि यह हम सभी के लिए, सभी नागरिकों के लिए और दुनिया भर के सभी लोकतंत्र-प्रेमी लोगों के लिए बहुत गर्व का क्षण है। उन्होंने आगे जोर दिया कि यह वर्षगांठ जश्न मनाने लायक घटना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “संविधान के 75 साल यादगार रहे हैं। संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ जश्न मनाने लायक घटना है। मुझे बेहद खुशी है कि संसद इस महत्वपूर्ण अवसर में भाग ले रही है।”
बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि और संविधान की नींव
पीएम मोदी ने इस बात पर विचार किया कि कैसे भारत का संविधान विविधता में एकता की नींव रखता है। उन्होंने कहा, “हमारा संविधान भारत की एकता की नींव रखता है।” उन्होंने डॉ. बी.आर. अंबेडकर की दूरदृष्टि का भी सम्मान किया, भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को आकार देने में उनकी भूमिका को स्वीकार किया और दोहराया कि विविधता में एकता के लिए संविधान की प्रतिबद्धता भारत की राष्ट्रीय पहचान के लिए केंद्रीय है।
प्रधानमंत्री के संबोधन ने भारत के लोकतंत्र, एकता को आकार देने में संविधान की महत्वपूर्ण भूमिका और राष्ट्र के लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूत करने में सभी नागरिकों, विशेषकर महिलाओं के निरंतर योगदान को रेखांकित किया।
#WATCH दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “1952 के पहले राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था। राज्यों में भी कोई चुनाव नहीं थे, जनता का कोई आदेश नहीं था… उसी दौरान उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था, ‘अगर… pic.twitter.com/0PR66jfC4U
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 14, 2024
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कांग्रेस नेतृत्व की तीखी आलोचना
एक तीखी आलोचना में, पीएम मोदी ने एक खास कांग्रेस परिवार पर राजनीतिक लाभ के लिए संवैधानिक सिद्धांतों को बार-बार कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल के दौरान संवैधानिक संशोधनों का उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना और असहमति को दबाना था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “1952 के पहले राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था। राज्यों में भी कोई चुनाव नहीं थे, जनता का कोई आदेश नहीं था… उसी दौरान उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था, ‘अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए’… 1951 में ये पाप किया गया लेकिन देश चुप नहीं था। उस समय के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें चेताया कि ये गलत हो रहा है…लेकिन पंडित जी का अपना संविधान चलता था और इसलिए उन्होंने इतने वरिष्ठ महानुभावकों की सलाह मानी नहीं। ये संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि समय-समय पर वो संविधान का शिकार करती रही…”
उन्होंने जोर देकर कहा, “संविधान को तब खंडित कर दिया गया जब यह 25 साल पूरे कर रहा था। 1975 में लगाए गए आपातकाल ने देश को जेल में बदल दिया। संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए, मीडिया को चुप करा दिया गया और पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को तहस-नहस कर दिया गया। कांग्रेस इस दाग को कभी नहीं मिटा पाएगी।”
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर संवैधानिक हेरफेर के बीज बोने का भी आरोप लगाया, जिसकी शुरुआत जवाहरलाल नेहरू से हुई और अंत इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुआ। उन्होंने कहा, “पहले प्रधानमंत्री द्वारा बोए गए बीजों का पालन इंदिरा गांधी ने किया, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलट दिया और संवैधानिक संशोधनों के जरिए न्यायपालिका के पंख काट दिए।”
आपातकाल और उसका स्थायी प्रभाव
1975 के आपातकाल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर संविधान का इस्तेमाल निजी और राजनीतिक लाभ के लिए करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “खून का स्वाद चखने के बाद इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाने, नागरिकों के अधिकारों को छीनने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म करने के लिए संविधान का दुरुपयोग किया।”
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