मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर पहुंचे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 25 जून को राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के साथ वार्ता होगी। 25 जून को यहां पहुंचने पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा कमाल मदबूली ने काहिरा एयरपोर्ट पर स्वागत किया।
1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मिस्र की यह पहली राजकीय यात्रा
वर्ष 1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मिस्र की यह पहली राजकीय यात्रा है। पश्चिमी एशिया और अफ्रीका में अपने रिश्तों को नए सिरे से मजबूत करने में जुटी भारत सरकार के लिए यह यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है। जनवरी, 2023 में अल-सीसी जब भारत आए थे, तब दोनों देशों ने एक-दूसरे को रणनीतिक साझेदार घोषित किया था।
‘इंडिया यूनिट’ के साथ की पहली बैठक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यात्रा के पहले दिन मिस्र में ‘इंडिया यूनिट’ के साथ पहली बैठक में दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा की। ‘इंडिया यूनिट’ मिस्र के शीर्ष मंत्रियों का एक समूह है। इसके प्रमुख मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मदबूली हैं। मोदी ने समर्पित उच्चस्तरीय इंडिया यूनिट के गठन के लिए मिस्र का आभार व्यक्त किया।
इन मुद्दों पर हुई बात
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया है-व्यापार एवं निवेश, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन, सूचना प्रौद्योगिकी, डिजिटल भुगतान मंच, दवा तथा लोगों के बीच संपर्क सहित कई क्षेत्रों में सहयोग को प्रगाढ़ करने पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी मिस्र के सबसे बड़े मुफ्ती डॉ. शाकी इब्राहिम अब्देल-करीम अल्लम से भी मिले। वह प्रवासी भारतीयों और बोहरा समुदाय के लोगों से भी मिले।
खास बातेंः
-प्रधानमंत्री मोदी का 25 जून को सबसे पहले अल-करीम मस्जिद जाने का कार्यक्रम है। फिर वह हेलियोपोलिस जाएंगे। यहां प्रथम विश्व युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान करने वाले भारतीय सैनिकों के स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इसके बाद उनकी राष्ट्रपति अल-सीसी के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी।
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-दोनों देशों के बीच कुछ महत्वपूर्ण समझौतों पर भी हस्ताक्षर होंगे। मिस्र स्वेज नहर के पास आर्थिक क्षेत्र बना रहा है। भारत ने वहां एक विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। उम्मीद है कि इस बारे में भी दोनों देशों के बीच सहमति बनेगी।
-काहिरा पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने उम्मीद जताई कि भारत और मिस्र के रिश्ते और मजबूत होंगे। दोनों देशों की जनता को इससे फायदा होगा। उल्लेखनीय है कि भारत ने जी-20 बैठक में हिस्सा लेने के लिए मिस्र को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। मिस्र इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उसे उम्मीद है कि भारत के साथ आर्थिक सहयोग से इस संकट से उबरने में मदद मिलेगी। मिस्र ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी मदद मांगी है।
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