लोकसभा में विपक्षी दलों द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के अंतिम दिन गुरुवार को पीएम मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव की परंपरा में गुरुवार को आई एक विचित्रता पर तंज कसते हुए कांग्रेस पर चुटकी ली। अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस अविश्वास प्रस्ताव में कुछ चीजें तो ऐसी विचित्र नजर आई जो न तो पहले कभी सुना है, न देखा है, न कभी कल्पना की है।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता का बोलने की सूची में नाम ही नहीं था। और पिछले उदाहरण देखिए आप। 1999 में वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। शरद पवार साहब उस समय नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने डिबेट का नेतृत्व किया। 2003 में अटल जी की सरकार थी, सोनिया जी विपक्ष की नेता थी, उन्होंने लीड ली, उन्होंने विस्तार से अविश्वास प्रस्ताव रखा। 2018 में खड़गे जी थे, विपक्ष के नेता। उन्होंने प्रोमिनेंटली विषय को आगे बढ़ाया।
लेकिन इस बार अधीर बाबू का क्या हाल हो गया, उनकी पार्टी ने उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया, ये तो कल अमित भाई ने बहुत-बहुत जिम्मेदारी के साथ कहा कि भाई अच्छा नहीं लग रहा है। और आपकी उदारता थी कि उनका समय समाप्त हो गया था, तो भी आपने उनको आज मौका दिया। लेकिन गुड़ का गोबर कैसे करना, उसमें ये माहिर हैं। मैं नहीं जानता हूं कि आखिर आपकी मजबूरी क्या है? क्यों अधीर बाबू को दरकिनार कर दिया गया। पता नहीं कलकत्ता से कोई फोन आया हो, और कांग्रेस बार-बार, कांग्रेस बार-बार उनका अपमान करती है। कभी चुनावों के नाम पर उन्हें अस्थायी रूप से फ्लोर लीडर से हटा देते हैं। हम अधीर बाबू के प्रति अपनी पूरी संवेदना व्यक्त करते हैं। सुरेश जी जरा जोर से हंस लीजिए।
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