अन्य देशों के आधिकारिक दौरों के दरम्यान मिलने वाले उपहारों को लेकर हमारे देश में नियमावली बनी हुई है, जिसके अनुसार सभी संबंधितों को व्यवहार करना पड़ता है। लेकिन केंद्र में भाजपानीत नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अनोखी पहल कर दी। इसका पालन वो अपने दूसरे कार्यकाल में भी कर रहे हैं। यह पहल थी प्रधानमंत्री को मिले उपहारों की नीलामी की।
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने खुद को मिले उपहारों की निलामी 2018 में रखी, उस समय निलामी के लिए 1500 से अधिक उपहारों का चयन किया गया। फिर 2019 और 2021 में नीलाम हुए उपहारों की संख्या 2500 से भी अधिक हो गई। साल 2020 को छोड़ दें, तो पीएम मोदी को मिले उपहारों की नीलामी 2018 के बाद लगातार हुई। 2020 में वैश्विक बीमारी कोविड के कारण इस नीलामी का आयोजन नहीं किया गया।
आधिकारिक दौरे के उपहारों को लेकर क्या हैं नियम
हमारे देश में अन्य देशों के आधिकारिक दौरों के दरम्यान मिलने वाले उपहारों को लेकर बनी नियमावली के अनुसार आधिकारिक यात्रा में प्राप्त सभी उपहारों को सरकारी खजाने में जमा करना होता है। यह प्रक्रिया आधिकारिक यात्रा से लौटने के 30 दिनों के भीतर संबंधित अधिकारी को पूरी करनी होती है। उपहार जमा करने के बाद, विभाग के अधिकारी उपहार के मूल्य का आकलन करते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोई भी उपहार जिसका मूल्यांकन मूल्य 5,000 रुपये से कम है, प्राप्तकर्ता को वापस कर दिया जाता है। लेकिन यदि संबंधित अधिकारी इस मूल्य से अधिक उपहार अपने पास रखना चाहता है, तो वह सीमा और उपहार के मूल्यांकन मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान कर वह उपहार अपने पास रख सकता है। नियमावली एक महत्वपूर्ण बात यह कही गयी है कि प्रतीकात्मक मूल्य के उपहार प्राप्तकर्ता अपने पास रखे सकते हैं। पारदर्शिता के लिए विदेश मंत्रालय सरकार को सौंपे गए सभी उपहारों की एक सूची रखता है, जिसे वह अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड करता है।
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