लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार (Lokmanya Tilak National Award) से सम्मानित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने उपस्थित जनों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) का उल्लेख करते हुए, लोकमान्य तिलक और वीर सावरकर (Veer Savarkar) के संबंधों को बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि, तिलक जी सावरकर जी की क्षमता पहचानते थे, इसलिए ब्रिटेन में रहनेवाले श्यामजी कृष्ण वर्मा (Shyamji Krishna Verma) से वीर सावरकर जी की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए सिफारिश की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, लोकमान्य तिलक इस बात को भी जानते थे कि आज़ादी का आंदोलन (Frredom Struggle) हो या राष्ट्र निर्माण का मिशन, भविष्य की ज़िम्मेदारी हमेशा युवाओं के कंधों पर होती है। तिलक जी वीर सावरकर की क्षमता को पहचानते थे, वे चाहते थे सावरकर दी शिक्षा ग्रहण करें। इसके लिए वे ब्रिटेन जाएं, इसलिए श्यामजी कृष्ण वर्मा से सावरकर जी की पढ़ाई के लिए छात्र वृत्ति देने की सिफारिश की। उस काल में श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा ब्रिटेन (Britain) में दो छात्र वृत्ति दी जाती थी। छत्रपति शिवाजी महाराज छात्रवृत्ति और महाराण प्रताप छात्र वृत्ति।
ये भी पढ़ें – पीएम मोदी लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित, नमामि गंगे परियोजना को समर्पित पुरस्कार राशि
लोकमान्य तिलक पुरस्कार का उद्देश्य
लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार, लोकमान्य तिलक के विचार और सेवाकार्य करने वालों के लिए 1983 में शुरू किया गया, इसके लिए तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट का गठन किया था। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए काम किया है और जिनके योगदान को उल्लेखनीय और असाधारण के रूप में देखा जा सकता है। यह हर साल एक अगस्त- लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर प्रस्तुत किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पुरस्कार के 41वें प्राप्तकर्ता हैं। इसके पहले डॉ.शंकर दयाल शर्मा, प्रणब मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, एन.आर. नारायण मूर्ति, डॉ. ई. श्रीधरन जैसे दिग्गजों को प्रदान किया जा चुका है।