किसानों को मिली बड़ी भेंट, किसान उत्पाद संगठनों को भी गुड न्यूज

देश के छोटे किसानों के बढ़ते हुए सामर्थ्य को संगठित रूप देने में हमारे किसान उत्पाद संगठनों- एफपीओ की बड़ी भूमिका है।

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जमीनी स्तर के किसानों को सशक्त बनाने की निरंतर प्रतिबद्धता और संकल्प के अनुरूप, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत वित्तीय लाभ की 10वीं किस्त जारी की। इससे 10 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि अंतरित की गई। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने लगभग 351 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को 14 करोड़ रुपये से अधिक का इक्विटी अनुदान भी जारी किया। इससे 1.24 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने एफपीओ से बातचीत की। केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा कई राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, कृषि मंत्री एवं किसान इस कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि भारत के किसानों के लिए एक बड़ा सहारा है। उन्होंने कहा कि अगर आज जारी किस्त को भी शामिल कर लें, तो 1.80 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे किसानों के खाते में भेजी जा चुकी है।

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किसानों की सामूहिक शक्ति हो रही सुदृढ़
प्रधानमंत्री ने कहा कि एफपीओ के माध्यम से छोटे किसान सामूहिक शक्ति की ताकत को महसूस कर रहे हैं। उन्होंने छोटे किसानों के लिए एफपीओ के पांच लाभों के बारे में बताया। इन लाभों में मोलभाव की बढ़ी हुई शक्ति, बड़े स्तर पर व्यापार, नवाचार, जोखिम प्रबंधन और बाजार के हिसाब से बदलने की क्षमता शामिल है। एफपीओ के लाभों को ध्यान में रखते हुए सरकार उन्हें हर स्तर पर बढ़ावा दे रही है। इन एफपीओ को 15 लाख रुपये तक की मदद दी जा रही है। इसी वजह से, पूरे देश में जैविक एफपीओ, तिलहन एफपीओ, बांस क्लस्टर और शहद एफपीओ जैसे एफपीओ सामने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज हमारे किसान ‘एक जिला, एक उत्पाद’ जैसी योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं और देश एवं वैश्विक स्तर के बाजार उनके लिए खुल रहे हैं।” उन्होंने कहा कि 11 हजार करोड़ रुपये के बजट वाले नेशनल पाम ऑयल मिशन जैसी योजनाओं से आयात पर निर्भरता कम हो रही है।

कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति
प्रधानमंत्री ने हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र में हासिल किए गए मील के पत्थर के बारे में बात की। खाद्यान्न उत्पादन 300 मिलियन टन तक पहुंच गया। इसी तरह, बागवानी और फूलों की खेती का उत्पादन 330 मिलियन टन तक पहुंच गया। दुग्ध उत्पादन भी पिछले 6-7 वर्षों में लगभग 45 प्रतिशत बढ़ा। लगभग 60 लाख हेक्टेयर भूमि को सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरीगेशन) के अंतर्गत लाया गया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे के रूप में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी गई, जबकि प्राप्त प्रीमियम सिर्फ 21 हजार करोड़ रुपये का ही था। महज सात वर्षों में इथेनॉल का उत्पादन 40 करोड़ लीटर से बढ़कर 340 करोड़ लीटर हो गया। प्रधानमंत्री ने बायो-गैस को बढ़ावा देने के लिए गोवर्धन योजना के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गोबर का मूल्य होगा, तो दूध नहीं देने वाले पशु किसानों पर बोझ नहीं होंगे। सरकार ने कामधेनु आयोग की स्थापना की है और डेयरी क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है।

प्रधानमंत्री ने एक बार फिर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रसायन मुक्त खेती मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करने का एक प्रमुख तरीका है।

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